प्रशासन की लापरवाही भगदड का मुख्य कारण
वाराणसी – बाबा जयगुरुदेव के प्रमुख शिष्य पंकज महाराज की ओर से शाकाहार और मद्यनिषेध के प्रचार के लिए निकाले गए धार्मिक शोभायात्रा के दौरान मची भगदड में मरने वालों की संख्या २४ हो गई है। इस हादसें में दर्जनों लोग घायल हुए हैं। घायलों में कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है। भगदड़ के चलते दर्जनों मासूम बच्चे अपने मां-बाप से बिछड गये हैं।
बनारस और चंदौली को जोड़ने वाले राजघाट पुल के पास हुए इस हादसे के बाद चारों आेर कोहराम मचा है। घायलों को बीएचयू के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है। पांच घायलों की हालत गंभीर बनी हुई है। भगदड में मृतकों की संख्या और बढने की आशंका हैं। मृतकों को प्रदेश सरकार की ओर से दो-दो लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की गई है। बनारस के सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मृतकों के परिजनों को २-२ लाख रुपये और घायलों को ५०-५० हजार रुपये मुआवजे देने की घोषणा की है।
आयोजन स्थल से निकला शोभायात्रा डोमरी से निकलकर पड़ाव, राजघाट, मच्छोदरी, मैदागिन, गोदौलिया, लहुरावीर, नाटीइमली, हरतीरथ, गोलगड्डा होकर फिर पड़ाव होते डोमरी पहुंचना था। सबेरे 8 बजे निकले शोभायात्रा का एक सिरा जब राजघाट पुल के ऊपर था तो दूसरा लहुरावीर तक पहुंच गया था। राजघाट पर कुछ महिलाओं के गर्मी से गश खाकर गिरने के कारण भगदड़ की अफवाह फैल गई, देखते ही देखते ही लोग भागने लगे।
पुलिस-प्रशासन पंगु, एलआईयू फेल, नतीजा २४ की मौत
भगदड में २४ श्रद्धालुआें की मृत्यू के लिए पुलिस-प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया गया है। भगदड के बाद भी मौके पर राहत के लिए पुलिस-प्रशासन को एक घंटे का समय लग जाना सरकारी मशीनरी का पूरी तरह पंगु होना दिखाता है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि तीन हजार लोगों की अनुमति लेकर लाखों लोगों को काशी की सडकों पर उतरने के बाद भीड के व्यवस्थापन की कोर्इ व्यवस्था नहीं थी ।
जिला प्रशासन की लापरवाही और सुस्ती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है हादसे के चार घंटे बाद तक कोई हेल्पलाइन नंबर तक नहीं जारी किया जा सका।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स