अबुजा : नाइजीरिया के बोको हराम इस्लामिस्टों ने दो साल से भी अधिक समय पहले चिबोक के एक स्कूल से जिन २०० से अधिक छात्राओं का अपहरण किया था उनमें से कुछ मुक्त होने के बाद अपने परिवारों के पास पहुंची और अपनी पीडा के बारे में बताया। राजधानी अबुजा में कल अपने स्वागत के लिए इसाई समुदाय द्वारा आयोजित समारोह में इन छात्राओं ने बताया कि उन्हें ४० दिनों तक खाना नहीं मिला।
ज्यादातर छात्राएं ईसाई हैं, लेकिन अपहरण के बाद बोको हराम ने इनका धर्म परिवर्तन करके इन्हें मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए बाध्य कर दिया। एक छात्रा ग्लोरिया दामे ने बताया कि ४० दिन तक भूखे रहने के अलावा एक बार तो वह मरते मरते भी बची। ‘मैं लकडियों के ढांचे में थी और बिल्कुल पास में विमान से बम गिराया गया, लेकिन मैं बाल-बाल बच गई।’
उसने स्थानीय हाउसा भाषा में कहा ‘हमें एक माह और १० दिन तक खाना नहीं मिला, लेकिन हम बच गए। ईश्वर का लाख-लाख शुक्र है।’समारोह का आयोजन नाइजीरिया की सुरक्षा सेवाओं ने किया था, जिसने छात्राओं की रिहाई के लिए बोको हराम से बात की थी। इन छात्राओं का अप्रैल २०१४ में अपहरण कर लिया गया था और इस घटना को लेकर पूरी दुनिया में आक्रोश की लहर दौड गई थी। इनकी रिहाई के लिए चलाए गए ऑनलाइन अभियान ‘ब्रिंगबैकअवरगर्ल्स’ में अमेरिकी प्रथम महिला मिशेल ओबामा भी शामिल हुईं।
बोको हराम ने २७६ लडकियों का अपहरण किया था, लेकिन अपहरण के कुछ ही घंटे बाद कई छात्राएं किसी तरह बच कर निकल गई थीं। इस साल के शुरू में १९ वर्षीय एक लडकी अपने चार माह के बच्चे के साथ मिली थी। समारोह में लडकियों के अभिभावक आए और अपनी बेटियों से मिल कर अपनी भावनाओं पर काबू न रख सके।
सूचना मंत्री लई मोहम्मद ने बताया ‘हम अभिभावकों के चेहरों पर खुशी और भावनाओं का मिलाजुला रूप देख सकते हैं।’ उन्होंने बताया कि इस्लामिस्टों के साथ बातचीत तब तक जारी रहेगी, जब तक सभी लडकियां मुक्त नहीं हो जातीं। ‘बहुत ही जल्द एक और जत्था रिहा होगा और वह अधिक बडा होगा।’अपने देश के कई हिस्सों को जिहादियों से मुक्त कराने के बावजूद नाइजीरिया के राष्ट्रपति मोहम्मदु बुहारी की छात्राओं को रिहा करने में असफलता के लिए कडी आलोचना हुई।
ये छात्राएं देश में कट्टरपंथी इस्लामिक स्टेट को स्थापित करने के लिए बोको हराम के क्रूर अभियान का प्रतीक बन गई थीं। बोको हराम ने वर्ष २००९ में नाइजीरियाई सरकार के खिलाफ हथियार उठाए थे और तब से आतंकवादी घटनाओं में २०,००० से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और २६ लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं।
संदर्भ : नवभारत टाइम्स