इस्लामाबाद (जेएनएन) : भले ही पाकिस्तान चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को लेकर बड़े-बडे दावे कर रहा हो लेकिन नवाज के सांसदों ने ही पाक सरकार को इसे लेकर चेताया है। पाकिस्तान के कई सांसद चीन इस परियोजना को लेकर सशंकित हैं। उनका मानना है कि अगर देश हित की रक्षा नहीं की गई तो यह सीपीईसी पाक के लिए तरक्की नहीं बल्कि तबाही का गलियारा बन सकता है।
पाक के ऊपरी सदन के सांसदों का कहना है कि चीनी परियोजना पाकिस्तान के लिए दूसरी ईस्ट इंडिया कंपनी साबित हो सकती है।
पाकिस्तानी संसद की योजना एवं विकास मामलों से संबंधित स्थायी समिति के अध्यक्ष और सांसद ताहिर हुसैन मशादी ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) को लेकर कहा कि, “यदि राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में हम एक और ईस्ट इंडिया कंपनी देख सकते हैं। हमें पाकिस्तान और चीन की दोस्ती पर गर्व है। लेकिन राष्ट्र हित पहले है।”
इस पर समिति के अन्य सदस्यों ने भी चिंता जाहिर की और कहा कि पाक सरकार लोगों के अधिकारों और हितों की अनदेखी कर रही है। संसदीय समिति की बैठक में शामिल सांसदों ने सीपीईसी को लेकर नवाज शरीफ सरकार की तीखी आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने चीन को खुश करने की खातिर देश के हित को ताक पर रख दिया है।
पाक योजना आयोग के सचिव युसुफ नदीम खोकर ने जब समिति को यह बताया कि सीपीईसी में चीनी निवेश की बजाय ज्यादातर स्थानीय संसाधनों का ही इस्तेमाल किया जा रहा है तो सांसद भड़क गए। सांसद ताहिर ने कहा “यह हमारे लिए बेहद नुकसानदायक सौदा है। यह राष्ट्रीय आपदा है। सीपीईसी को लेकर चीन से जो भी कर्ज लिया गया है, वह पाकिस्तान की गरीब जनता से वसूला जाएगा।” खुद शरीफ की पार्टी के सांसद सइदुल हसन ने भी सीपीईसी को लेकर नाराजगी व्यक्त की।
वही एक अन्य सांसद उस्मान ने कहा कि नेप्रा परियोजना के लिए पावर टैरिफ ७१ पैसे तय किया गया था जबकि चीनी निवेशक ९५ पैसे प्रति यूनिट की मांग कर रहे हैं जिसका सरकार समर्थन भी कर रही है।
संदर्भ : जागरण