अहमदाबाद (कर्णावती) – यहां एेसी दो बहनों की कहानी सामने आई है, जो गाेमाता और मवेशियों को बचाने के लिए शेरों से भी मुकाबला कर लेती हैं, वह भी सिर्फ छड़ी के सहारे। वैसे जंगल के राजा को परास्त करने के लिए इनका असली हथियार है – शेर के आंखों में आंखें डालकर खड़े रहने का हौसला और जान की बाजी लगाकर मवेशियों की रक्षा का जज्बा।
गिर के जंगलों के पास छोटे से गांव मेनधावास में रहने वाली संतोक (१९) और मेया (१८) ने ९ अक्टूबर को शेर का सामान किया। जल संरक्षण और गोरक्षा में जुटी एनजीओ जल क्रांति के संस्थापक मनसुख सुवज्ञा ने बताया, ‘दोनों बहनें अपने मवेशियों को चराने के लिए जंगल में गई थीं। तभी वहां एक शेर आ धमका। छड़ी लिए संतोक और मेया शेर और गायों के बीच आकर खड़ी हो गईं। दोनों शेर को तब तक घूरती रहीं, जब तक वह पीछे नहीं हट गया।’
सुवज्ञा ने बताया, ‘हम इन दोनों के साथ पांच दिन तक जंगल में जानवरों को चराने के लिए गए। हमने वहां इनका आत्मविश्वास और हिम्मत से लबरेज बॉडी लैंग्वेज को देखा।’ सलवार-कमीज पहनने वाली संकोची संतोख कहती है, ‘हम शेरों के बारे में जानते हैं। यदि आप उन्हें अपना पीठ दिखाओगे तो वे आक्रमण कर देंगे, लेकिन यदि उनकी आंख में आंख डालकर हिम्मत से खड़े रहो तो आपको छोड़कर चले जाएंगे।’
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स