कहां यज्ञ का महत्त्व समझकर उसका अनुकरण करनेवाले पाश्चात्त्य, तो कहां भारत में ही यज्ञविधी के परिणाम का अस्तित्व नकारनेवाले आधुनिकतावादी ! – सम्पादक, हिन्दूजागृति
टोक्यो – जापान के पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए २१ अक्टूबर से वहां यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है जो ९ दिनों तक बिना रुके चलेगा। इस यज्ञ के लिए भारत से पुजारियों को बुलाया गया है। पुजारियों के साथ १५ पाकशास्त्री भी जापान गए हैं। वहां भारतीय व्यंजन से जापानी लोगों को परिचित किया जायेगा।
जापान के माउण्ट फ्यूजी में साईं मां १०८ कुण्डीय महायज्ञ होगा। अनुष्ठान में भारत और अमेरिका के १२५ वैदिक विद्वान शामिल हो रहे हैं। यह अनुष्ठान महामण्डलेश्वर साईं मां लक्ष्मी देवी की उपस्थिति में होगा। साईं मां विष्णु शक्ति ट्रस्ट हरिश्चन्द्र घाट रोड पर गुरुवार को आयोजित पत्रकारवार्ता में यह जानकारी ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने दी।
यज्ञ के प्रमुख आचार्य पं. वेंकटरमण घनपाठी, सहायक आचार्य पं. श्यामलेश तिवारी, वी श्रीनिवासन एवं देवी कृष्णा दास ने बताया कि विश्व कल्याणार्थ एवं शांति के लिए श्रीमन्नारायण त्रिपाद विभूत सुदर्शन सहित शतचण्डी महारुद्र यज्ञ होगा। आयोजन का लक्ष्य भारत-जापान के बीच राजनैतिक संबंध को पुष्ट करने के साथ ही आध्यात्मिक संबंध को मजबूती देना है।
पं. श्यामलेश ने बताया कि जापान में तरक्की के बावजूद कुछ एक समस्याएं समय के साथ बहुत बलवती हो गयी हैं। इनमें भूकंप, आत्महत्याएं, मनोरोग आदि समस्याएं बढ़ी है। इनके निदान के बाबत भी अनुष्ठान के तहत तीन अलग-अलग चरण में अनुष्ठान होगा। रुद्रयाग, शतचण्डी यज्ञ और सुदर्शन योग के माध्यम से जापान को आध्यात्मिक रूप से भी पुष्ट करने का प्रयास होगा।
स्त्रोत : जागरण