हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के संगठन का यह परिणाम है ! ऐसे हिन्दुत्वनिष्ठ सर्वत्र हों !
मुंबई : दीपावली के दिनों में जलाए जानेवाले पटाखो के आच्छादनपर हिन्दुआें की देवताआें के चित्र (उदा. श्री लक्ष्मीदेवी) छापने की १०० वर्ष से चल रही अयोग्य परंपरा हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों द्वारा की गई निरंतर जनजागृति के कारण समाप्त हुई है । इस वर्ष अब पटाखो के आच्छादनोंपर मोर, साथ ही अन्य पशु-पक्षी, चलचित्रपट अभिनेता-अभिनेत्री अथवा पटाखा निर्माताआें के नाम अथवा छायाचित्र छापे गए है । बाजार में देवताआें के चित्र छापे हुए कोई भी पटाखे दिखाई नहीं देते हैं । देश में उत्पादित होनेवाले अधिकांश पटाखे तमिलनाडू के शिवकाशी में बनाए जाते हैं । वहां के जिलाधिकारी ने वर्ष २०१५ में एक पत्र द्वारा पटाखे निर्माता संगठन को पटाखो के आच्छादनोंपर हिन्दुआें की देवताआें के चित्र न छापने का आदेश दिया था । साथ ही हिन्दू जनजागृति समिति तथा अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने इस विषय में बडी मात्रा में जनजागृति की थी । पटाखो के आच्छादनोंपर हिन्दुआें की देवताआें के चित्र छापने से हिन्दुआें की धार्मिक भावनाएं आहत होती है, इसका प्रचार किया था ।
पटाखो के आच्छादनोंपर देवताआें के चित्र न छापने के निर्णय का मुसलमान दुकानदारों से सकारात्मक प्रत्युत्तर प्राप्त हुआ । अनेक लोगों ने उपर्युक्त निर्णय का स्वागत कर देवताआें के चित्रों को पैरोंतले रौंदा जाना किसी को भी सहन नहीं होगा, ऐसा कहा । (जो अन्य धर्मियों की समझ में आता है, वह हिन्दूआें के समझ में कब आएगा ? – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात