पुणे : कोथरूड व्यासपीठ एवं साहित्य वेध प्रतिष्ठान, पुणे के संयुक्त तत्वावधान में यहां के अंबर हॉल में २६ अक्तूबर को ‘मैत्र पर्व’ चित्र, चरित्र एवं व्यंगचित्र प्रदर्शनी के संदर्भ में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस अवसर पर अपने विचार प्रकट करते हुए ‘पनून कश्मीर’ के अध्यक्ष डॉ. अजय च्रोंगू ने प्रतिपादित किया कि, ‘कश्मीर की परिस्थिति को ‘जेनोसाईड’ अर्थात ‘किसी समाज को समूल नष्ट करने की प्रक्रिया’ कारणभूत है ! हिटलर ने जर्मनी में ज्यू लोगों को नष्ट करने हेतु जिसप्रकार ‘जेनोसाईड’ प्रक्रिया का उपयोग किया, वही प्रक्रिया कश्मीरी हिन्दुओं के संदर्भ में भी की जा रही है। इस प्रक्रिया को एवं ‘भारत को पाकिस्तान होने से रोकने’ का प्रथम चरण है ‘पनून कश्मीर’ (अपना कश्मीर) है !
इस अवसर पर उद्धाटक के रूप में सिम्बायोसिस विद्यापीठ के कुलगुरु डॉ. शां.ब. मुजुमदार, कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में अखिल मराठी साहित्य संमेलनाध्यक्ष श्री. श्रीपाल सबनीस, कोहिनूर ग्रुप के अध्यक्ष कृष्णकुमार गोयल, कार्यक्रम के आयोजक शिवसेना के श्री. श्याम देशपांडे एवं युथ फॉर पनून कश्मीर के राष्ट्रीय संयोजक श्री. राहुल कौल के साथ अन्य मान्यवर उपस्थित थे।
कार्यक्रमस्थल पर दिवंगत व्यंगचित्रकार आर.के. लक्ष्मण एवं हिन्दूहृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरेद्वारा साकार व्यंगचित्रों की प्रदर्शनी, तथा भूतपूर्व राष्ट्रपति एवं शास्त्रज्ञ डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की स्मृति में छायाचित्रों की प्रदर्शनी आयोजित की गई थी। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन डॉ. शां.ब. मुजुमदार के शुभहाथों किया गया। कार्यक्रम का सूत्रसंचालन श्रीमती मोनिका जोशी ने किया। इस अवसर पर १५० से भी अधिक संख्या में हिन्दू उपस्थित थे।
कश्मीरी हिन्दुओं की भीषण अवस्था एवं उसके लिए उपाय के संदर्भ में डॉ. च्रोंगू ने कहा कि ….
१. भारत की संस्कृति है, हिमालय ! एवं यदि उसे नष्ट करना है, तो भारतभूमि को हिमालय से अलग करना होगा। अतः सब से पहले कश्मीर को नियंत्रण में लेना चाहिये, ऐसा पाकिस्तान का षडयंत्र है !
२. इसिस के आतंकवादी जो अत्याचार करते हैं, वे चलचित्र के माध्यम से पूरे विश्व में सभी तक पहुंच रहे हैं; परंतु कश्मीर में पिछले सहस्रो वर्षों से वही परिस्थिति होते हुए भी अपने ही देश के लोगों को इस परिस्थिति के संदर्भ में जानकारी ही नहीं !
३. भगवान श्रीविष्णू ने वामन अवतार में प्रथम चरण में ही पूरी पृथ्वी को व्याप लिया। पूरे भारत में कश्मीर समान भयदायी परिस्थिति उत्पन्न न हो इसीलिए वामन का प्रथम चरण होगा, ‘पनून कश्मीर’ ! कश्मीर में स्वतंत्र केंद्रशासित प्रदेश कश्मीरी हिन्दुओं को मिले, उस में धारा ३७० लागू न हो तथा उस प्रदेश में केवल कश्मीरी हिन्दू ही रहें, डॉ. च्रोंगूद्वारा ऐसी ३ मांगें सब के सामने प्रस्तुत की गर्इं। सभी उपस्थितों को इन मांगों को समर्थन देने की उन्होंने विनती की।
क्षणिकाएं
१. श्री. श्रीपाल सबनीस ने ‘पनून कश्मीर’ के संदर्भ में आयोजित व्याख्यान के संदर्भ में अपने भाषण में एक शब्द भी नहीं कहा ! जानबूझकर उन्होंने उल्लेख करने में टालमटोल की। (कहां देश के लिए लेखनी तोड कर बंदुक हाथ में लेने का आवाहन करनेवाले स्वातंत्र्यवीर सावरकर समान साहित्यिक एवं कहां देश के एक राज्य के नागरिकों पर हुए अत्याचारों के संदर्भ में एक शब्द भी न बोलनेवाले वर्तमान के कारकुनी श्री. सबनीस जैसे साहित्यिक ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२. सूत्रसंचालक श्रीमती मोनिका जोशी ने कहा कि, विश्व के किसी भी देश को एक ही नाम से पहचाना जाता है; परंतु हिन्दुस्थान को ही ‘भारत’ तथा ‘इंडिया’ ऐसे नाम देते हुए जानबूझकर यह छिपाया जाता है कि ये हिन्दुओं का ही स्थान था एवं है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात