प्रसिद्ध बॉर्बी डॉल के निर्माताओं ने मां काली को बार्बी डॉल के रूप मे दिखाकर किया अपमान

आश्विन शुक्ल पक्ष चतुर्थी, कलियुग वर्ष ५११६

  • हिन्दुआें, इसका वैध मार्गसे निषेध करें !
  • क्या इस आस्थापनने अन्य धर्मियाेंके श्रद्धास्थानोंका उपयोग करनेकी हिम्मत की होती ?

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नई दिल्ली – सात समंदर पार अर्जेंटीना में आस्थावान हिंदुओं को मां काली की एक प्रतिमा ने आहत किया है। जिस मां काली की उपासना शक्ति और संहार की देवी के रूप में लाखों-करोड़ों हिंदू करते रहे हैं, उसी मां काली की ऐसी प्रतिमा बनेगी इसकी कल्पना शायद लोगों ने कभी नहीं की थी।

काली मां को काल की देवी, परिवर्तन की देवी, शक्ति की देवी, संहार की देवी कहा जाता है। हाथ में खड्ग और राक्षस का कटा सिर मां काली की पहचान है। मां काली हिंदुओं के लिए सर्वोच्च आस्था का प्रतीक मानी जाती है। लेकिन पश्चिम ने एक बार फिर हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ किया है।

नवरात्र के इस वक्त सारा देश आस्था और श्रद्धा के सागर में डूबा है। ठीक उसी वक्त अर्जेंटीना से एक चौंकाने वाली खबर आई है। ब्यूनस आयर्स में काली की एक ऐसी प्रतिमा सामने आई है जिस पर पश्चिम में बसे हिंदुओं ने सख्त ऐतराज जताया है।

दरअसल, बच्चों की प्रसिद्ध बॉर्बी डॉल के निर्माताओं ने काली की एक विवादित डॉल का निर्माण किया है। इस डॉल में काली की भंगिमा का ऐसा रुपांकन है जो अब तक किसी ने नहीं किया। अमेरिकी हिंदुओं के संगठन यूनिवर्सल सोसायटी ऑफ हिंदूइज्म ने अमेरिकी संसद तक अपनी आपत्ति पहुंचाई है। संगठन का साफ कहना है हिंदू कला का सम्मान करते हैं, कला को गंभीरता से लेते हैं, लेकिन अपने धार्मिक प्रतीकों को इस तरह से दिखाया जाना कतई मंजूर नहीं।

बार्बी डॉल बनाने वाली कंपनी फैशनपरस्त और बाजार की मांग पर कुछ भी बनाए इससे आस्थावानों को फर्क नहीं पड़ता। लेकिन जब उनके आराध्य देवी-देवताओं की प्रतिमा को ऐसी कंपनियां बनाती हैं और उससे आस्था को ठेस पहुंचती है तो बड़े विवाद का सबब तैयार हो जाता है।

आज का मुद्दा में इस पर खास मेहमानों के साथ विस्तार से चर्चा हुई। इस मुद्दे पर चर्चा में शामिल हुईं महिला अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर सैय्यद मुबिन जेहरा, ज्योतिषाचार्य एच एस रावत, वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान और कथावाचक साधिका सोनिया दीदी। क्या कहा मेहमानों ने पढ़ें-

एच एस रावत
रावत ने कहा कि हिंदू देवी देवताओं का इस तरह का अपमान हम बर्दाश्त नहीं कर सकते। इस तरह की घटनाएं आए दिन होती रहती है। सरकार को दखल देना चाहिए।

सोनिया दीदी
दीदी ने कहा कि धर्म का अपमान करने का किसी को हक नहीं है। सनातन धर्म विनम्र है, लेकिन इसका अर्थ ये नहीं कि जब तक अपमान किया जाए।

शरत प्रधान
प्रधान ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मठों में आए दिन महिलाओं से दुराचार, दुर्व्यवहार की खबरें आती हैं तक कोई कुछ नहीं बोलता है। हिंदू धर्म दिमाग खोलने की बात करता है। दूसरी की कुरीतिया ना सीखें। हमें खुद के अंदर भी झांकना होगा।

स्त्रोत : आएबीएन खबर

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