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भयानक अत्याचार और उत्पीडन से पीडित हैं बांग्लादेश में हिन्दू

नई देहली : आपने बार बार पाकिस्तान के और हमारे देश के तथाकथित बुद्धिजीवियों को ये बात कहते हुए सुना होगा कि, भारत में मुसलमानों की हालत बहुत ख़राब है, किंतु कोई इस बारे में बात नहीं करता कि, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में हिंदुओं पर किस तरह के अत्याचार हो रहे हैं। कोई बुद्धिजीवी इस प्रश्न पर बहस नहीं करता कि, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दुआेंकी जनसंख्या तेज़ी से क्यों घट रही है ? और हिंदुओं के पूजा स्थलों पर आक्रमण क्यों हो रहे हैं। दीपावली वाले दिन जब पूरा भारत त्यौहार मना रहा था और देश के लोग पुरे विश्व के सुख और शांति की कामना कर रहे थे, उसी समय बांग्लादेश में १५ मंदिरों में तोडफोड की गई। ये घटना बांग्लादेश की राजधानी ढाका से लगभग १०० किलोमीटर दूर ब्राहम्ण बाड़िया ज़िले की है। जहां १५ मंदिरों और लगभग १०० घरों में तोडफोड की गई।

हिंदुओं के मंदिरों पर आक्रमण की शुरुआत एक फेसबुक पोस्ट के बाद हुई, आरोपों के अनुसार कुछ जिहादी संगठन एक बांग्लादेशी नागरिक की फेसबुक पोस्ट से नाराज़ थे। परंतु इससे पहले कि, बांग्लादेश का कानून अपना काम करता, धर्म के कट्टरपंथी ठेकेदार हिन्दुआें के क्षेत्र में पहुंच गए। सबसे पहले इन क्षेत्रो में मदरसे के छात्रों ने प्रदर्शन किया और फिर कट्टरपंथी संगठनों ने आरोपी को मृत्यु दण्ड देने की मांग की। इस दौरान प्रदर्शन के बहाने ही मंदिरों और हिंदुओं के घरों पर आक्रमण शुरू हो गए।

भारत में मानव अधिकारों की दुहाई देने वाले तमाम लोग बहुत चयनात्मक होकर अपनी चिंता जताते हैं। ऐसे लोगों को बांग्लादेश के हिंदुओं की हालत नहीं दिखाई देती। ये बांग्लादेश की वो जनसंख्या है, जो भयानक अत्याचार और उत्पीडन से पीड़ित है। इनकी सुध लेने वाला विश्व में कोई भी नहीं है। अगर पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार होंगे तो वो लोग आखिर कहां जाएंगे। उनका विश्व में सिर्फ़ एक ही ठिकाना होगा और वो है भारत। परंतु दुख की बात ये है भारत में तमाम सरकारें आईं और गईं पर ना तो सरकारों ने और ना ही मीडिया ने, वहां के हिन्दुआें के पक्ष की बात नहीं की।

इराक, सीरिया और फिलिस्तीन में मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों का मुद्दा भारत के कई न्यूज़ चैनल, डिजाइनर पत्रकार और लेखक उठाते रहते हैं। यहां तक कि देश में समान नागरी कानून को लागू करने का विचार भी। इन लोगों को मुस्लिमों के विरुध्द अत्याचार जैसा लगने लगता है। परंतु दुख इस बात का है कि, हमें अब तक कोई ऐसा बुद्धिजीवी, कोई ऐसा लेखक, या साहित्यकार नहीं मिला जो बिना किसी पूर्वाग्रह के पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं की दशा के विरोध में आवाज़ उठाए। या उन्हें न्याय दिलाने का प्रयास करें। ये बहुत चुभने वाली बातें हैं परंतु ये बातें देश के सामने रखना बहुत आवश्यक है।

  • बांग्लादेश के संपत्ति कानून की आड में १२ लाख हिंदू परिवारों की २० लाख एकड़ ज़मीन हड़प ली गई है ।
  • हिंदू परिवारों को उनकी संपत्ति से बेदखल करके उन्हें शरणार्थी बनने के लिए मजबूर किया गया।
  • हिंदू अल्पसंख्यकों के पूजा स्थलों और हिंदू त्योहारों को लगातार निशाना बनाया जाता है।
  • पिछले कई दशकों में आए दिन हिंदुओं की हत्याएं और महिलाओं के साथ बलात्कार हुए।
  • हालत ये हो गई कि पिछले २५ वर्षों में ५३ लाख से ज़्यादा हिंदू भारत की आेर पलायन कर गए।

वैसे बांग्लादेश की सरकार का दावा है उनका देश आतंकवाद और कट्टरपंथ से पीड़ित है। परंतु सच ये है कि, पाकिस्तान की ही तरह बांग्लादेश में भी अल्पसंख्यक हमेशा डर के साए में जीते हैं। ये हालात तब हैं जब विश्व में हिंदू जनसंख्या वाले तीन सबसे बड़े देशों में बांग्लादेश का नाम शामिल है।

स्त्रोत : जी न्यूज

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