नई देहली : देशभर की जेलों में बंद मुस्लिम कैदियों और बंदियों की संख्या लगातार बढती जा रही है। एनसीआरबी के ताजा आंकडों पर निगाह डालें तो इसके चौंकानेवाले आंकडे सामने आते हैं। जिसके अनुसार देशभर की जेलों में बंद दोषियों में मुस्लिम कैदियों की संख्या १५.८ फीसदी और विचाराधीन बंदियों की संख्या २०.९ फीसदी के करीब है। यह आंकडा इसलिए काफी चौंकाने वाला है क्योंकि देश की कुल आबादी में उनका औसत १४.२ फीसदी है !
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार एनसीआरबी के साल २०१५ के जारी आंकडे बताते हैं कि महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों में तो मुस्लिम कैदियों की संख्या उनकी कुल आबादी के एक तिहाई तक पहुंच चुकी है।
जैसे, महाराष्ट्र में मुस्लिमों की कुल आबादी ११.५ फीसदी के करीब है। लेकिन राज्य की जेलों में बंद कुल कैदियों और बंदियों में से ३० फीसदी से ज्यादा मुस्लिम हैं। जबकि बीते साल में यह आंकडा २६ फीसदी था जो एक साल में चार फीसदी बढ गया।
इसके अलावा पश्चिम बंगाल, गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों की जेलों में तो मुस्लिम बंदियों की संख्या उनकी कुल आबादी के अनुपात में दोगुनी तक हो गई है। २०११ की जनगणनना के अनुसार पश्चिम बंगाल की कुल आबादी में मुस्लिमों की संख्या २७ फीसदी है। जबकि एनसीआरबी के आंकडों के अनुसार राज्य की जेलों में बंद कुल बंदियों में से ४७ फीसदी के करीब मुसलमान हैं। हालांकि इनमें बडी संख्या बांग्लादेश से आनेवाले अपराधियों की भी है !
जबकि तमिलनाडु में मुस्लिमों की कुल आबादी १७ फीसदी और राजस्थान में १८ फीसदी के करीब है, जबकि इन दोनों राज्यों की जेलों में बंद मुस्लिम कैदियों की कुल संख्या १६ फीसदी के करीब पहुंच चुकी है।
वहीं आबादी के हिसाब से देश के सबसे बडे सूबे उत्तर प्रदेश में कुल मुस्लिम आबादी १९ फीसदी के करीब है लेकिन राज्य की जेलों में बंद मुस्लिम विचाराधीन कैदियों की संख्या २७ फीसदी को पार कर चुकी है।
बिहार में मुस्लिमों की कुल आबादी १७ फीसदी है लेकिन यहां भी इससे ज्यादा १८ फीसदी मुस्लिम राज्य की जेलों में अपने मुकदमों का इंतजार कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश में यह संख्या १७ फीसदी, केरल में २६ फीसदी और मध्यप्रदेश में १९ फीसदी, दिल्ली में १३ फीसदी मुस्लिम विचाराधीन कैदी अभी जेलों में बंद हैं !
स्त्रोत : अमर उजाला