गाजियाबाद : तीन तलाक और हलाला के नियम से दुखी मुस्लिम महिला ने हिदू धर्म अपनाने की घोषणा की है। इस्लाम धर्म के नाम पर हो रही महिलाओं की दुर्दशा पर खुलकर अपने विचार व्यक्त किए।
गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में २५ वर्षीय मुस्लिम महिला ने कहा कि, इस्लाम धर्म के नाम पर लगभग सभी मुस्लिम महिलाएं किसी न किसी प्रकार से यातनाएं झेल रही हैं। कम उम्र में उनका निकाह कर दिया जाता है, फिर उन पर जल्दी जल्दी बच्चे पैदा करने का दबाव बनाया जाता है।
बच्चा न पैदा होने पर उन्हें तमाम शारीरिक यातनाएं दी जाती हैं और छोटी-छोटी बातों पर तलाक दे दिया जाता है। तलाक देने के बाद महिलाओं की स्थिति और भी बदतर हो जाती है। प्रेसवार्ता में जय शिवसेना के अध्यक्ष अमित आर्यन ने महिला की पूरी मदद करने की बात कही।
पीडिता का कहना है कि, तलाक के बाद उसके पति ने फिर से साथ रहने के लिए उसका हलाला भी कराया और दोस्त के हवाले कर दिया। तीन महीने बाद जब वह पति के पास पहुंची तो उसे स्वीकार करने के बजाय पति ने वेश्यावृत्ति में धकेल दिया।
पीडित महिला ने बताया कि, १५ वर्ष की उम्र में उसका विवाह हो गया और वर्ष २०१४ अक्टूबर में उसके पति ने तलाक दे दिया।
मुरादनगर शहर काजी मुफ्ती अब्दुल कादिर का कहना है कि, तलाक के बाद महिला को पर्दे में रहकर इद्दत करनी होगी। यदि वह उसी व्यक्ति से दोबारा निकाह करना चाहती है तो इसके लिए उसे हलाला करना होगा।
यही नहीं, तलाक के बाद महिला शरीयत न्यायालय में अपना सूरतेहाल पेश कर सकती है। उसके बाद शरीयत न्यायालय निर्णय लेती है। मगर तीन बार तलाक कहने के बाद तलाक तो माना ही जाएगा।
स्त्रोत : नर्इ दुनिया