पेशावर के पुराना शहर क्षेत्र में स्थित हिन्दुओं के १५० वर्ष प्राचीन मंदिर को ‘गुपचुप ढंग से गिराए जाने’ के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई है। बताया गया है कि इस प्राचीन मंदिर की जगह कमर्शियल प्लाजा बनाने की कोशिश की जा रही है। इस मंदिर में श्रद्धालुओं का आना-जाना बरसों पहले बंद हो गया था।
डॉन’ की रिपोर्ट के अनुसार, पेशावर उच्च न्यायालय में मुहीबुर रहमान और वाकिफ सलीम ने सोमवार को याचिका दाखिल की। याचिका में मांग की गई है कि इस मंदिर का प्रशासनिक नियंत्रण पुरातत्व विभाग को सौंपा जाए।
याचिका में कहा गया है कि मंदिर की इमारत में कथित तौर पर बदलाव किए जाने का मुद्दा कुछ महीने पहले सामने आया था, इसके बाद सरकार ने संपत्ति को सील करने के साथ इसमें रहने वाले दो किराएदारों को गिरफ्तार किया था।
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, इवेक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टीज डिपार्टमेंट के साथ साठ-गांठ कर उन तत्वों (किराएदारों) ने मंदिर को गिरा कर प्लाजा का निर्माण शुरू कर दिया। याचिका में कई समाचारपत्रों की रिपोर्ट और उनके साथ प्रकाशित फोटो का हवाला देते हुए कहा कि, मंदिर को गुपचुप ढंग से गिराया जा रहा है। ये मंदिर करीमपुरा इलाके के मोहल्ला वांगडी गारा में स्थित है। १५० वर्ष प्राचीन होने के बावजूद मंदिर का ढांचा मजबूत हालत में बताया गया।
याचिका में खैबर पख्तून्ख्वा प्रांत की सरकार के प्रवक्ता के बयान का भी हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने कहा – सरकार इस मामले में कदम उठाए क्योंकि संविधान अल्पसंख्यकों को समान अधिकार और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा की गारंटी देता है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि डिप्टी कमिश्नर और आर्कियोलॉजी डायरेक्टर डॉ अब्दुल समद खान ने मंदिर का मुआयना करने के बाद इसके परिसर को सील कर दिया था। लेकिन इसके बावजूद ऊंची पहुंच वाले तत्व मंदिर को गिराने का काम करते रहे और अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे।
स्त्रोत : आज तक