पिछले १० वर्षों से पनून कश्मीर और हिन्दू जनजागृति समिति हाथों में हाथ डालकर कश्मीरी बंधुआें के पुनर्वास के लिए सक्रिय हैं । कश्यपऋषि की भूमि कश्मीर में, एक भारत अभियान द्वारा, आज पूरे भारत के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को संकल्प करना होगा कि, कश्मीरी हिन्दुआें का पनून कश्मीर क्षेत्र में पुनर्वास किए बिना चुप नहीं बैठेंगे ! करोगे न यह संकल्प ?
१. कश्मीर स्थित आतंकवाद
कश्मीरस्थित पाक समर्थित आतंकवाद कभी घुसपैठ, कभी देशविरोधी घोषणाएं, कभी भारतीय जवानों पर आक्रमण, तो कभी हिन्दू नेताआें की हत्याआें के रूप में दिखता आ रहा है । वर्ष १९९० में यह आतंकवाद चोटी पर पहुंच गया और फलस्वरूप आज कश्मीर घाटी में हिन्दू शेष नहीं रह गए ! आज देश में राष्ट्रवादी शासन आया है । उरी आक्रमण का प्रतिशोध केवल १० दिनों में सीमापार जाकर लिया गया । अब मोदीजी वर्ष १९९० में कश्मीरी हिन्दुआें पर हुए अन्याय का भी प्रतिशोध लें और उन्हें सम्मानपूर्वक कश्मीर घाटी में पुर्स्थापित करें । केंद्रशासन यह दिखा दे कि, कश्मीर में आतंकवाद नहीं, जनता का हित सर्वोच्च है । इस देश में शासन, न्यायसंस्था, सेना और संविधान आदि अस्तित्व में हैं और ये बातें कश्मीर के आतंकवाद को हरा सकती हैं,
यदि ऐसा आत्मविश्वास केंद्रशासन उत्पन्न करेगा, तो इससे भारतीयों की राष्ट्रीय भावनाआें का पोषण होगा ! महत्त्वपूर्ण बात तो यह है कि यदि वर्ष १९९० में फैला हुआ कश्मीर का आतंकवाद राज्यकर्ता उसी समय नष्ट करते, तो आज देशभर में पटाखों की भांति बमविस्फोट नहीं होते !
२. धारा ३७० और पनून कश्मीर
आज हमें कश्मीरी हिन्दुआें के पुनर्वास के लिए सभाएं क्यों लेनी पड रही हैं ? इसका हमें अंतर्मुख होकर विचार करना पडेगा । आप जानते हैं कि, कश्मीर का पाकिस्तान बनाने का प्रावधान ही हमारे संविधान की धारा ३७० में है ! धारा ३७० कश्मीर को विशेषाधिकार देती है कि, भारतीय वहां भूमि खरीद नहीं सकते; परंतु कश्मीरी नागरिक भारत में कहीं भी भूमि खरीद सकता है ! भारतीय कानून कश्मीर को लागू नहीं होते । सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय कश्मीर को बंधनकारी नहीं है । वहां पाकिस्तान
का ध्वज फहराना और भारतविरोधी घोषणा करना, देशद्रोह नहीं है । वहां सैनिकों पर आक्रमण करनेवाले धर्मांधों पर राजद्रोह का अभियोग नहीं चलाया जा सकता । कश्मीर की दृष्टि से देश की संसद का मूल्य शून्य है । संक्षेप में कश्मीर का शीघ्रातिशीघ्र पाकिस्तान बने, ऐसा संविधान का प्रावधान है । इस धारा का अनुचित लाभ उठाकर कश्मीरी हिन्दुआें को खदेड दिया गया । दुर्भाग्यपूर्ण बात तो यह है कि पिछले ७० वर्षों में धारा ३७० को हटाने का साहस एक भी शासनकर्ता ने नहीं दिखाया ! आज संवेदनशून्य सेक्युलरवादी जब कश्मीर से सेना को हटाया जाए ! अथवा कश्मीर को स्वाधीनता दी जाए !, ऐसी मांगें करते हैं, तब हमारी राष्ट्रीय भावनाएं आहत होती हैं । धारा ३७० को हटाना पनून कश्मीर संगठन की महत्त्वपूर्ण मांग है । कश्मीर घाटी में पनून कश्मीर निर्माण करने का अर्थ है, वहां भारतीय संविधान प्रस्थापित करना व भारतीयों को संविधानप्रदत्त स्वाधीनता प्रदान करना ।
३. देश की समस्याआें का मूल कश्मीर
बंधुओ, देश की अनेक समस्याआें का मूल कश्मीर समस्या में है ।
अ. लव जिहाद पहले कश्मीर में आरंभ हुआ और आज वह पूरे देश में फैल गया है ।
आ. अमरनाथ यात्रा पर होनेवाले आक्रमणों जैसे आक्रमण आज हमारे गणेशोत्सव, शिवजयंती, नवरात्रोत्सव की शोभायात्राआें पर हो रहे हैं ।
तात्पर्य यह कि, कश्मीर की समस्या का समाधान करने पर सभी समस्याएं दूर होने में सहायता होगी । शरणार्थी हिन्दुआें का पनून
कश्मीर निर्माण कर वहां उन्हें सम्मानपूर्वक पुनर्स्थापित करने का अर्थ होगा, भारतीय राज्य और हिन्दू संस्कृति की घरवापसी !
४. कश्मीर समस्या पर एकमात्र उपाय, हिन्दू राष्ट्र की स्थापना !
कश्मीर घाटी में पनून कश्मीर का निर्माण कर वहां हिन्दुआें की वापसी, तात्कालिक उपाय है । कश्मीर की समस्याएं, चाहे पाकव्याप्त कश्मीर को वापस प्राप्त करना हो, संविधान की धारा ३७० हटाना हो; इन समस्याआें का हल विद्यमान व्यवस्था से मिलना असंभव है । इसलिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना, यही स्थायी उपाय है । इस हेतु हिन्दू जनजागृति समिति पिछले अनेक वर्षों से सक्रिय है । हमें भी हिन्दू धर्म के उत्थान के लिए और हिन्दू धर्मियों के उत्कर्ष के लिए यथाशक्ति सहयोग देना आवश्यक है ।
स्त्रोत : हिन्दी सनातन प्रभात