उच्चतम न्यायालय अयोध्या मंदिर प्रकरण में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की उस अर्जी पर अगले सप्ताह विचार के लिए शुक्रवार (१८ नवंबर) को सहमत हो गया कि, आखिर क्यों इस मामले की सुनवाई रोजाना होनी चाहिए। प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति अनिल आर दवे की पीठ के समक्ष स्वामी ने इस अर्जी पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया। इस पर न्यायालय ने उनकी अर्जी अगले सप्ताह के लिये सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।
स्वामी ने कहा कि शीर्ष न्यायालय अयोध्या विवाद से संबंधित मामले में पहले ही उन्हें पक्षकार बना चुकी है और चूंकि यह मामला साढ़े पांच साल से भी अधिक समय से लंबित है, इसलिए अब इसकी रोजाना सुनवाई होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि, वह स्वामी को सुनना चाहती है कि इस मामले की रोजाना सुनवाई क्यों होनी चाहिए। शीर्ष न्यायालय ने २६ फरवरी को स्वामी को अयोध्या प्रकरण से संबंधित लंबित मामले में हस्तक्षेप की अनुमति दे दी थी। स्वामी अयोध्या में गिराये गये विवादित ढांचे के स्थल पर राम मंदिर का निर्माण की अनुमति चाहते हैं।
भाजपा नेता ने इससे पहले विवादित स्थल पर मंदिर निर्माण की अनुमति के लिये अर्जी दायर की थी और इस पर शीघ्र सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश के समक्ष इसका उल्लेख भी किया था। स्वामी ने अपनी याचिका में दावा किया था कि इस्लामिक देशों में प्रचलित परंपराओं के अनुसार सड़क निर्माण सहित विभिन्न सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए मस्जिद को अन्यत्र स्थानांतरित किया जा सकता है जबकि एक बार मंदिर का निर्माण हो जाये तो उसे हाथ भी नहीं लगाया जा सकता है। उन्होंने राम जन्म भूमि- बाबरी मस्जिद स्थल के विवाद पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की पीठ के ३० सितंबर, २०१० के फैसले को चुनौती देने वाली तमाम याचिकाओं का शीघ्र निपटारा करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया था।
स्त्रोत : जनसत्ता