फेसबूक से, आंदोलन का प्रथम ही सीधा प्रसारण !
पुणे में आयोजित ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’ में सम्मिलित हिन्दुत्वनिष्ठोंद्वारा एकमत से मांग !
पुणे : आतंकवाद को प्रोत्साहन देनेवाले एवं जानबूझ कर धार्मिक द्वेष फैलानेवाले डॉ. जाकिर नाईक के ‘इस्लामिक रिसर्च फाऊंडेशन’ पर केंद्र सरकारद्वारा पांच वर्ष तक प्रतिबंध लगाया गया है। यद्यपि यह निर्णय स्तुत्य है, तब भी १९ नवंबर को यहां के विधानभवन के सामने संपन्न ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’ में ऐसी मांग की गई है कि, इतने पर ही न रुकते हुए केंद्र सरकार को फरार हुए डॉ. जाकिर नाईक को बंदी बना कर उनका भारत में प्रत्यार्पण कर उन पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।
फेसबूक से प्रथम ही राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन का सीधा प्रसारण !
यह आंदोलन हिन्दू जनजागृति समिति के फेसबूक पृष्ठ पर ‘लाइव्ह’ दर्शाया गया। इस माध्यम से कुल १९ सहस्र ६८ लोगों तक आंदोलन का विषय पहुंचा। उनमें ३ सहस्र ६४९ लोगों ने आंदोलन ‘लाइव्ह’ देखा। इस पर १ सहस्र ६१५ लोगों ने ‘अच्छा लगने की’ एवं ‘प्रतिक्रियाएं’ (‘लाइक’ अथवा ‘कॉमेंट्स’) दी गई।
इसके अतिरिक्त इस अवसर पर केरल, कर्नाटक तथा तमिलनाडू आदि विविध राज्यों में हिन्दुत्वनिष्ठों की जानबूझ कर की जानेवाली हत्याओं का भी तीव्र निषेध किया गया। हिन्दुत्वनिष्ठों की होनेवाली हत्याएं यह एक व्यापक सुनियोजित षड्यंत्र का भाग है एवं इन हत्याओं की केंद्रीय अन्वेषण यंत्रणा के माध्यम से विस्तृत रूप से जांच करने एवं उन राज्यों के हिन्दुत्वनिष्ठ नेताओं की सुरक्षापूर्ति करने की मांग भी इस अवसर पर की गई।
इस आंदोलन में १०० से भी अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ सम्मिलित हुए थे। आंदोलन के पश्चात हिन्दुत्वनिष्ठों के प्रतिनिधिमंडल ने निवासी जिलाधिकारी श्री. राजेंद्र मुठे को मांगों का ज्ञापन प्रस्तुत किया।
पुरोगामियों की हत्याओं के लिए विविध अन्वेषण यंत्रणाओं की नियुक्ति करनेवाला शासन हिन्दुत्वनिष्ठों की हत्याओं के संदर्भ में इतना उदासीन क्यों है ? – श्री. चैतन्य तागडे
शासकीय एवं प्रशासकीय उदासीनता के कारण हिन्दुओं पर होनेवाले अत्याचारों में वृद्धि हो रही है। अनेक हिन्दुत्वनिष्ठों की हत्याएं होने पर भी पुलिस तथा प्रशासकीय यंत्रणा उस पर ध्यान नहीं देते; उलटे ऐसा कहते हैं कि व्यक्तिगत संघर्ष के कारण ये हत्याएं हुई है ! एक ओर पुरोगामियों की हत्या होने के पश्चात उसका अन्वेषण करने हेतु विविध अन्वेषण यंत्रणाओं को कार्य पर लगानेवाला शासन हाल-ही में ३५० से भी अधिक हिन्दुत्वनिष्ठों की हत्या होते हुए भी उस पर ध्यान नहीं देता, यह दुर्भाग्यपूर्ण है, इस समस्या पर ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना यही एकमात्र उपाय है !
डॉ. जाकिर नाईक पर कार्रवाई करने में विलंब किसलिए ? – अधिवक्ता श्री. राजाभाऊ देशपांडे, हिन्दू एकता आंदोलन
वास्तव में देशद्रोही जाकिर नाईक के कुकृत्य ६ मास पूर्व ही उजागर हुए थे। फिर भी उन पर कार्रवाई करने में इतना विलंब किसलिए ? हिन्दुओं पर आनेवाले संकट के विरोध में सभी को संघटित होना आवश्यक है। इसलिए हिन्दुओं में जागृति उत्पन्न होनी चाहिए।
अधिवक्ता श्री. देशपांडेद्वारा प्रस्तूत अन्य सूत्र
१. आरक्षण का अंत होकर देश में समान नागरी कानून लागू हों !
२. चुनाव की कालावधि में सरकारद्वारा जनता को दिए गए आश्वासन पूर्ण होने के लिए जनता ने भी पृष्ठपोषण करना चाहिए।
अवसर आने पर हिन्दुओं पर होनेवाले अन्याय का प्रतिरोध के लिए, सड़क पर उतर आयेंगे ! – श्री. चंद्रशेखर शिंदे, लाल महाल उत्सव समिति
शासनद्वारा हिन्दुओं पर होनेवाले अन्याय को अनदेखा करना निषेधार्ह है। हिन्दू सहिष्णु होने के कारण ही उन पर ही अत्याचार हो रहे हैं; परंतु भविष्य में हिन्दुओं पर होनेवाला अन्याय सहन नहीं किया जाएगा। उसका प्रतिरोध करने हेतु एवं हिन्दू धर्म की रक्षा हेतु सड़क पर उतरने की भी हमारी सिद्धता है !
इस अवसर पर सनातन संस्था के श्री. निरंजन दाते ने भी अपना मनोगत व्यक्त किया।
आंदोलन में सम्मिलित हिन्दुत्वनिष्ठ
हिन्दू एकता आंदोलन के श्री. दुर्गेश बारटक्के, अखिल राजस्थानी समाज संघ के महासचिव श्री. मोहनसिंह राजपुरोहित, शिवसेना के हवेली तहसिलप्रमुख श्री. नितीन वाघ, गोर्हे गांव के भूतपूर्व सरंपच श्री. सुशांत खिरिड, संभाजी ब्रिगेड के महाराष्ट्र राज्य उपाध्यक्ष श्री. बाळकृष्ण वांजळे
क्षणिकाएं
१. हाल-ही में अधिवक्ता श्री. राजाभाऊ देशपांडे के कान पर शस्त्रकर्म हुआ था। फिर भी वे आंदोलन में सम्मिलित हुए थे ! (ऐसे देहभान से विस्मृती से धर्मकार्य करनेवाले धर्माभिमानी यही हिन्दू धर्म की खरी शक्ति है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२. अधिवक्ता श्री. देशपांडे एवं श्री. चंद्रशेखर शिंदे ने अपने वक्तव्य के आरंभ में सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवले को कृतज्ञतापूर्वक अभिवादन व्यक्त किया।
३. स्वतंत्रतासेनानी अनंत कान्हेरे के समकालीन काशिनाथ टोणपे के पन्नाती श्री. संजय टोणपे ने आंदोलन के समर्थनार्थ हस्ताक्षर कर ऐसा मत व्यक्त किया कि, ‘हिन्दुओं में जागृति उत्पन्न होने हेतु ऐसे आंदोलन होना आवश्यक है !’
४. अनेक लोगों ने जिज्ञासा से आंदोलन के विषय को जान लिया तथा अपने भ्रमणभाष से छायाचित्र भी निकाले !
‘हिन्दू’ एवं ‘हिन्दू धर्म’ पर होनेवाले अन्याय के विरोध में आवाज उठानेवाला एकमात्र संगठन !
हिन्दू जनजागृति समिति ! ‘हिन्दू एवं हिन्दू धर्म’ पर होनेवाले अन्याय के विरोध में आवाज उठानेवाला एकमात्र संगठन है, अधिवक्ता श्री. राजाभाऊ देशपांडे ने इस अवसर पर ऐसे गौरवोद्गार व्यक्त किए।
कुछ कार्यकर्ताओंद्वारा हिन्दुत्वनिष्ठों की होनेवाली हत्याएं एवं उनके प्रति राजनेता, पुलिस तथा प्रशासन की उदासीनता दर्शानेवाला प्रसंग साकार किया गया। इस में ‘हिन्दू’ के रूप में एक कार्यकर्ता भूमि पर पडा था। उसके पास सरकार, पुलिस एवं प्रशासन का प्रतिनिधित्व करनेवाले ३ कार्यकर्ता गांधीजी के बंदर समान कान, मुंह एवं आंखें ढंक कर खडे थे !
इस प्रसंग से ‘हिन्दुओं पर का अन्याय तथा हिन्दू नेताओं की होनेवाली हत्याओं के संदर्भ में हम कुछ सुनेंगे नहीं, कुछ बोलेंगे नहीं, तो क्या करेंगे, केवल अनदेखी…. !!!’ इन शब्दों में वर्तमान परिस्थिति को स्पष्ट रूप से अधोरेखित किया गया था !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात