आश्विन शुक्ल पक्ष षष्ठी, कलियुग वर्ष ५११६
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करते हुए योग और आध्यात्म के महत्व पर प्रकाश डाला और दुनिया को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत के लिए आह्वान दिया । संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने पहले भाषण में मोदी ने कहा कि भारत के लिए प्रकृति का सम्मान अध्यात्मवाद का अनिवार्य हिस्सा है. हम प्रकृति की विपुलता को पवित्र मानते हैं । उन्होंने कहा कि योग हमारी प्राचीन परंपरा का अमूल्य उपहार है ।
उन्होंने योग को प्राचीन परंपरा का बहुमूल्य उपहार करार देते हुए कहा, यह व्यायाम नहीं, बल्कि यह अपने, दुनिया तथा प्रकृति के भीतर अपनत्व की भावना को तलाशना है ।प्रधानमंत्री ने कहा, योग दिमाग और शरीर की एकता, विचार और कार्यवाही, संयम और निर्वाह, व्यक्ति और प्रकृति के बीच सद्भाव, स्वास्थ्य एवं कल्याण के प्रति समग्र दृष्टिकोण को दर्शाता है । उन्होंने कहा, जीवनशैली में बदलाव करके और चेतना पैदा करके यह जलवायु परिवर्तन से निपटने में हमारी मदद कर सकता है ।
योग का महत्त्व
अगर आप सोचते हैं कि योग अपने शरीर को महज तोड़ने-मरोड़ने का दूसरा नाम है तो आप गलत हैं । योग के जरिए मस्तिष्क और शरीर का मिलन होता है । तनाव कम करने लेकर ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के साथ कॉलस्ट्रॉल कम करने और वजन घटाने में सहायक होते हैं योगाभ्यास । योग एक आध्यात्मिक प्रकिया को कहते हैं जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का काम होता है । योग अर्थात ईश्वर से जुड़ना – यही मानव जन्म का उद्देश्य है – यह देह पायी और ईश्वर से न जुड़े तो सब व्यर्थ गया ।
योग के तीन प्रकार हैं – भक्ति योग, ज्ञान योग, कर्म योग । ज्ञान या भक्ति वाले ही कर्म योग कर पाते हैं इससे रहित विरला ही कोई कर्मयोगी होता है ।
स्त्रोत : पल-पल इंडिया