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घर-घर में व्याप्त कलहों को रोकने का सामर्थ्य रामायण की सीख में है ! – श्री. रमेश शिंदे, हिन्दू जनजागृति समिति

‘सादर वन्दे’ इस संघटनद्वारा आयोजित कार्यक्रम में हिन्दू जनजागृति समिति का सहभाग

उज्जैन : आज शिक्षा के माध्यम से हमारे सामने प्रभु श्रीराम का आदर्श नहीं रखा जाता। पहले बडों एवं बुजुर्गों से रामायण की कथाएं बताई जातीं थी। अतः सभी को किसी न किसी माध्यम से श्रीरामजी की भांति आदर्श आचरण कैसे किया जाए, इसके संस्कार मिलते थे। आज रामायण की सीख न मिलने से ही घर-घर में कलह बढे हैं। इस स्थिति में परिवर्तन लाने हेतु हमें युवकों के सामने पुनः एक बार रामायण का आदर्श रखना पडेगा ! ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने किया। वे, यहां के पुरुषोत्तम सागर घाटपर आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। यहां के ‘सादर वन्दे’ इस संघटनद्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।

श्री. रमेश शिंदे
श्री. रमेश शिंदे

श्री. शिंदे ने आगे कहा कि, आज हिन्दुओं के सामने अनेक संकट हैं; किंतु, हर हिन्दू ‘मैं अकेला क्या कर सकता हूं ?’, ऐसा विचार करता है ! हिन्दुओं को ऐसा विचार न करते हुए प्रभु श्रीराम ने जिस प्रकार से रावण का वध करने हेतु अयोध्या की सेना को न लेते हुए, अर्थात राजाश्रय का विचार न करते हुए वनवास के समय स्वयं की अपनी सेना खडी की, उसी प्रकार हमें धर्म के प्रति आस्था होनेवालों को संघटित करना चाहिए। तमिलनाडू राज्य में ‘डीएमके’ के अध्यक्ष करुणानिधी ने श्रीरामजी का अनादर कर श्रीराम-सेतु को तोडने का प्रयास किया; परंतु वास्तव में रामसेतु अबाधित रहा उलटे करुणानिधी के परिवार का ही विभाजन हुआ ! सगे भाई ही एक-दूसरे के विरोध में खडे हो गए, ये बात हमें ध्यान में लेनी होगी। जिस रामनाम के कारण पानी में पत्थर तैर गए, उस राम का नाम लेने पर हमारा भी अवश्य ही उद्धार होगा, ऐसी आस्था रखकर हिन्दुओं को उपासना का बल प्राप्त करना चाहिए।

क्षणचित्र

१. उज्जैन के श्री. भूपेंद्र गुलाटी एवं श्री. संजीव पांचाळ ने प्रधानता लेकर इस कार्यक्रम का आयोजन किया।

२. कार्यक्रम के पूर्व यहां के सप्तसागरों में से एक पुरुषोत्तम सागर नामक ऐतिहासिक तालाब के तटपर सामूहिक आरती की गई।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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