कर्नाटक राज्य में प्रस्तावित ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून’ को विरोध
हिन्दू जनजागृति समिति की बेंगलुरू में पत्रकार परिषद !
बेंगलुरू : कर्नाटक राज्य में कांग्रेस सरकारद्वारा प्रस्तावित ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून २०१६’ को विरोध करने हेतु हिन्दू जनजागृति समिति ने एक पत्रकार परिषद का आयोजन किया था। उस समय अधिवक्ता श्री. अमृतेश एन.पी. वक्तव्य कर रहे थे। अपने वक्तव्य में उन्होंने यह टिप्पणी की कि, ‘कांग्रेस सरकार कहती है कि, हिन्दुओं की प्रथाएं अंधश्रद्धा हैं। इसके लिए उन्हें शृंगेरी, पेजावर, सिद्धगंगा इन मठ प्रमुखों के साथ विचारविमर्श करना चाहिए था; केवल कानून की पदवी प्राप्त करने से कोई व्यक्ति बुद्धिमान नहीं होती !
ये राजनीतिक लोग एक ओर अंधश्रध्दा निर्मूलन की बातें करते हैं तो दूसरी ओर हाथ में नींबू लेकर अनिष्ट शक्तियों दूर भगाने का प्रयास करते हैं, उनका ‘अंधश्रध्दा निर्मूलन की बातें करना’ केवल एक ढोंग है !
इस पत्रकार परिषद में नादागोकुल आश्रम की माता रत्नाम्मा, श्री. रामाकोतेश्वरानंद स्वामी, श्री. रत्नकुमारस्वामी, श्री. व्यंकटेश रेड्डी स्वामी, सीताराम आश्रम के श्री. रामस्वामी, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. मोहन गौडा आदि मान्यवरों ने अपने अपने विचार प्रस्तुत किये।
ये कांग्रेस सरकार, एक के आंख में मक्खन, तो दूसरे की आंख में चुना डाल रही है ! – डॉ. महर्षी आनंद गुरुजी
कांग्रेस सरकार बुद्धिवादियों के अधीन होकर आनेवाली की पिढी को अपनी संस्कृति से दूर ले जा रही है, यह अत्यंत खेदजनक बात है ! इसीलिए हिन्दू समाज की सुरक्षा हेतु संत इस कानून का विरोध कर रहे हैं। वर्तमान में किसानों की आत्महत्याएं हो रही हैं, सीमा पर लडते समय सैनिक वीरगती प्राप्त कर रहें है, ऐसी अनेक समस्याओं को दूर रखकर सरकार अंधश्रद्धा निर्मूलन जैसा कानून पारित करने पर तुली हुई है !
यदि हिन्दुओं की प्रथा-परंपराओं को लक्ष्य किया गया, तो संत समाज चुप नहीं बैठेगा ! – श्री शक्तिशांतानंद महर्षि स्वामी, धर्मशास्त्रगिरी
हिन्दुओं की प्रथा-परंपरा शास्त्र के अनुसार हैं। वे ग्रहस्थानों पर निर्भर रहती हैं; किंतु, राजनीतिक दलों के ध्यान में यह बात नहीं आती। वे केवल एकगठ्ठा मतों का विचार करते हैं। हिन्दुओं के संत इस कानून का विरोध करने हेतु देहली तक पहुंचेगे !
इस कानून में इस्लाम तथा ईसाईयों के प्रथा-परंपराओं को छुआ तक नहीं है ! – श्री. मोहन गौडा
कांग्रेस सरकार ने यह कानून सिद्ध करते समय प्रा. नटराज, डॉ. ललिता नायक, डॉ. नरेंद्र नायक, सारा अबू बेकर, बनू मुश्ताक इन हिन्दू विरोधी व्यक्तियों की ही सहायता ली ! यह कानून केवल हिन्दुओं की सभी धार्मिक विधियों को अवैध ठहराने करने का प्रावधान है; किंतु, इस्लाम तथा ईसाई धर्म की प्रथा-परंपराओं को छुआ तक नहीं है ! ‘अंधश्रध्दा’ इस शब्द का अर्थ भी यहां नहीं दिया गया है ! इस कानून से केवल हिन्दुओं को ‘ब्लैकमेल’ किया जा सकता है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात