आश्विन शुक्लपक्ष पंचमी
मेरठ – मेरठ-बागपत हाइवे स्थित श्री ‘नागेश्वर महादेव मंदिर’ लोगों की आस्था का केंद्र है। यहां पंचमुखी शिवलिंग स्थापित है। इस शिवलिंग को सिद्धपीठ माना जाता है। जिस जगह पर यह मंदिर बना है, वहां महर्षि बाल्मीकि का आश्रम था। ऐसा मान्यता है कि अपने वनवास के दौरान मां सीता उनके आश्रम में रहती थीं। तब वह हर रोज इस मंदिर में पूजा किया करती थी। ऐसे में यहां जलाभिषेक के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु आते हैं।
यह मंदिर शहर से करीब २५ किमी दूर बालैनी गांव में हिंडन नदी के किनारे बना है। यह सिद्धपीठ वर्तमान में प्रेरणा का स्त्रोत है। इसके महंत स्वामी लक्ष्य देवानंद महाराज का दावा है कि यह देश का इकलौता पंचमुखी शिवलिंग है। इस तरह का दूसरा पंचमुखी शिवलिंग सिर्फ नेपाल में है। उनके अनुसार, इस मंदिर माता सीता घंटों बैठकर पूजा-अर्चना करती थीं।
यहां लव-कुश ने लिया जन्म
महंत स्वामी लक्ष्म देवानंद महाराज बताते हैं कि सीता ने अपना वनवास यह गुजारा था। महर्षि बाल्मीकि के इसी आश्रम में वह रहती थीं। यहीं उन्होंने लव-कुश को जन्म दिया। पहले इस आश्रम को ब्रह्मतुंग नाम से जाना जाता था। बाद में इसे नागेश्वर महादेव के नाम से ही पहचाना जाने लगा। उन्होंने बताया कि हर साल आखातीज यानि अक्षय तृतीया के मौके पर यहां लव-कुश का जन्मदिन मनाया जाता है। इस अवसर पर यहां मेले का आयोजन भी होता है। वहीं, सावन में कांवड़िए यहां जल चढ़ाने आते हैं।
जलाभिषेक करने से कटते है सभी संकट
ऐसी मान्यता है कि पंखमुखी नागेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान भोलेनाथ उसकी सारी परेशानियों को खत्म कर देते हैं। इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से आत्म शांति का अनुभव प्राप्त होता है।
तपोभूमि का हो रहा जीर्णोद्धार
कुछ दिनों पहले इस तपोभूमि के जीर्णोद्धार का काम शुरू हुआ है। अब यहां मंदिर समिति का गठन हो चुका है।इस कार्य में पर्यटन विभाग भी अपना सहयोग कर रहा है। मंदिर परिसर में पंचमुखी नागेश्वर महादेव मंदिर के अलावा लव-कुश जन्म स्थल, लव-कुश पाठशाला और सीता माता सती स्थल का भी जीर्णोद्धार किया जाएगा।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर