आश्विन शुक्लपक्ष षष्ठी, कलियुग वर्ष ५११६
मोदी सरकार में महिला और बाल विकास मंत्रालय हिंदु, मुस्लिम और ईसाई मैरिज एक्ट में जरूरी बदलाव करने का मन बना लिया है। इनमें मौखिक रूप से तलाक देने पर प्रतिबंध लगाना शामिल है। यूपीए सरकार ने इस संबंध में एक कमेटी गठित की थी जिसने अपने सुझाव प्रस्तुत किए हैं।
अब नही दिया जाएगा मौखिक तलाक
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने समाज में महिलाओं की स्थिति सुधारने का बीड़ा उठा लिया है। इस कोशिश में मंत्रालय ने यूपीए सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी से मीटिंग की और उनके सुझावों पर चर्चा की। कमेटी ने इस मीटिंग में विभिन्न धर्मों के विवाह कानुनों में जरूरी बदलाव लाने की मांग मेनका गांधी से की है। इन बदलावों में मुस्िलम धर्म के मौखिक तलाक एवं एक से ज्यादा शादी करने की प्रथा शामिल है। दरअसल इस्लाम को मानने वाले लोगों में मौखिक तलाक देने की प्रथा है जिसका मतलब है कि तीन बार तलाक बोलने पर पति एवं पत्नी शादी के बंधन से मुक्त हो जाते हैं। इसके साथ ही कमेटी ने सुझाव दिया है कि तलाक के बाद पति हर हालत में पत्नी को मुआवजा प्रदान करे।
ऑनर किलिंग के लिए कानून
इन बदलावों के साथ ही ऑनर किलिंग जैसे जघन्य अपराध को रोके जाने के लिए नए कानून बनाने की मांग की गई है। गौरतलब है कि समाज के कुछ वर्गो में अपने बच्चों के दूसरी जात में शादी करने पर मार दिया जाता है। इसके साथ ही लिव-इन रिलेशनशिप पर भी विचार किया गया। कमेटी ने कहा कि लिव-इन संबंधों के मामले भी विवाह एवं उत्तराधिकार कानून के अंतर्गत आने चाहिए। इस कदम से लिव-इन संबंधों में होने वाले बच्चों के नाजायज औलाद होने की समस्या खत्म हो सकती है।
औरत हो बच्चे की नैचुरल पेरेंट
पंजाब यूनिवर्सिटी की पूर्व प्रोफेसर पाम राजपूत की अध्यक्षता वाली कमेटी ने कहा कि कानूनों में जरूरी बदलाव करके मां को बच्चे का नैचुरल पेरेंट घोषित किया जाना चाहिए। इससे बच्चे पर तलाक और लिव-इन रिलेशनशिप की स्थिति में बच्चे को मां का सानिध्य प्राप्त हो सकता है।
स्त्रोत : जागरण