• परिवाद प्रविष्ट करने में आरंभ में पुलिसद्वारा टालमटोल !
• धर्माभिमानी को पुलिस थाने में पौन घंटा प्रतिक्षा में रखा !
परिवादकर्ता की परिवाद प्रविष्ट न करते हुए उसे प्रतिक्षा में रखना परिवादकर्ता को अकारण दिया गया दंड है ! ऐसे पुलिसकर्मियों के संदर्भ में उनके ज्येष्ठ अधिकारियों के पास परिवाद करना आवश्यक है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात
मुंबई-फोर्ट : यहां काला घोडा मार्ग के डीएजी मॉडर्न में हिन्दुद्वेषी चित्रकार एम एफ हुसेन के छायाचित्रों की ‘२० वें शतक की भारतीय कला’ नामक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है।
इस प्रदर्शनी के विरोध में २६ नवंबर को हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से माता रमाबाई आंबेडकर पुलिस थाने में परिवाद प्रविष्ट किया गया है। इस परिवाद को प्रविष्ट करने हेतु गए हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. प्रसाद मानकर को पुलिसद्वारा कुलाबा पुलिस थाने में परिवाद अस्वीकार कर पौन घंटा प्रतिक्षा में रखा गया। परिवाद देते समय श्री शिवकार्य प्रतिष्ठान (विक्रोळी) के अध्यक्ष श्री. प्रभाकर भोसले भी उपस्थित थे। अंत में माता रमाबाई आंबेडकर पुलिस थाने में परिवाद प्रविष्ट किया गया। आरंभ में यहां के पुलिस निरीक्षक विजय माळी ने ‘ यदि एम एफ हुसेन के छायाचित्रों पर कार्रवाई की गई, तो आपके सामने झुकने समान होगा,’ ऐसा कहते हुए कोई प्रतिसाद नहीं दिया ! (किसी की हुजूरी के लिए नहीं, अपितु जनता को न्याय मिला देने के लिए खाकी वर्दी है, यह साधारण सा ज्ञान भी न रहनेवाली पुलिस ! इस प्रकार की भाषा प्रयुक्त करनेवाली ऐसी पुलिस के संदर्भ में क्या कभी जनता को आत्मियता प्रतीत होगी ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) एम एफ हुसेनद्वारा रेखांकित भारतमाता के नग्न एवं हिन्दुओं के देवी-देवताओं के अश्लील चित्रों के संदर्भ में जानकारी देने पर पुलिस निरीक्षक विजय माळी ने ‘उच्च पुलिस निरीक्षक विजय धोपावकर बाहर गए हैं, आधे घंटे के पश्चात आएंगे। आने पर उनसे भाष्य करें, इस प्रकार से झूठ कहा। प्रत्यक्ष में उच्च पुलिस निरीक्षक विजय धोपावकर अंदर की खोली में विश्रांति ले रहे थे। वे पौन घंटे से बाहर आए। धर्माभिमानियों को पुलिस का मिथ्यापन ध्यान में आने पर पुलिस निरीक्षक विजय माळी ने कहा कि वे पूर्व रात्रि कुछ कार्य के कारण हुए जागरण से विश्रांति ले रहे थे, ऐसा कहा। (झूठ बोलनेवाली पुलिस ! जनता से झूठ बोलनेवाली ऐसी पुलिस जनता को क्या न्याय देगी ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
इस अवसर पर धर्माभिमानियों ने कहा कि, यदि उसी समय बता दिया होता कि उच्च अधिकारी अंदर ही हैं, तो हम प्रतीक्षा में नहीं रुकते थे। इस पर उन्होंने कहा कि हम पर अत्यधिक तनाव रहता है। तत्पश्चात उच्च पुलिस निरीक्षक विजय धोपावकर से भेंट करने पर उन्होंने डीएजी मॉडर्न हमारे पुलिस थाने की सीमा में नहीं आता, ऐसा कह कर माता रमाबाई आंबेडकर पुलिस थाने में परिवाद करने को कहा। (हिन्दुओं के देवी-देवताओं के अश्लील छायाचित्र निकालनेवाले कलाकारों के छायाचित्रों की प्रदर्शनी पर कार्रवाई न करनेवाली ऐसी पुलिसद्वारा क्या अन्य धर्मियों के संदर्भ में ऐसी ही सूचना दी गई होती ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
धर्माभिमानियों के साथ घटनास्थल पर जाकर पुलिसद्वारा जानकारी ली गई; परंतु कार्रवाई करने में टालमटोल !
माता रमाबाई आंबेडकर पुलिस थाने में परिवाद प्रविष्ट करने के लिए जाने पर उच्च पुलिस निरीक्षक सुखलाल वर्पे ने धर्माभिमानियों को कठोरता से धमकाते हुए पूछा कि क्या प्रदर्शनी में एम एफ हुसेन के छायाचित्र न लगाने के संदर्भ में आपके पास न्यायालय के आदेश की प्रति है ? इस पर धर्माभिमानियों ने धमकाने का कारण पूछने पर उन्होंने संदर्भ को जान लिया। (अपना आचरण कैसे रखें इससे भी अनभिज्ञ पुलिस ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
तदुपरांत उच्च पुलिस निरीक्षक सुखलाल वर्पे ने २ पुलिस अधिकारियों को धर्माभिमानियों के साथ डीएजी मॉडर्न में व्यवस्थापक को मिलने के लिए भेजा। वहां पुलिस ने अंदर जाकर डीएजी मॉडर्न के व्यवस्थापक के साथ विचार-विमर्श किया। तदुपरांत पुलिस के साथ बाहर आकर व्यवस्थापक ने धर्माभिमानियों से कहा कि इस संदर्भ में कोई पर्यायी मार्ग दिखाई देता है क्या ? इसकी जांच कर आप को सूचित करता हूं, ऐसा कह समय निकाला; परंतु वहां से पुलिस थाने में जाकर परिवाद प्रविष्ट करा ली। (क्या हिन्दू ‘इतने’ सहिष्णु होने से ही पुलिस इतना समय निकालने की नीति अपनाती हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात