Menu Close

मुसलमान प्रेमी के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकेगी हिन्दु लडकी – गुजरात उच्च न्यायालय

यह घटना पढकर यह प्रकरण लव-जिहाद है, एेसा जनता को लगे, तो इसमें कोर्इ अाश्चर्य नहीं होगा – सम्पादक, हिन्दुजागृति

high_courtगुजरात उच्च न्यायालय ने १९ साल की हिंदू लड़की को उसके २० वर्षीय मुस्लिम प्रेमी के साथ लिव-इन में रहने की अनुमती दी है। लड़के की आयु विवाह के लिए तय उम्र से कम है इसलिए वे दोनों अभी विवाह नहीं कर सकते।

पाठशाला में साथ पढ़ने के दौरान ही दोनों को एक-दूसरे से प्रेम हो गया और दोनों ने विवाह करने का निर्णय कर लिया किंतु विवाह के बाद दोनों ही अपना धर्म नहीं बदलना चाहते थे। ऐसे में उनके पास सिर्फ विशेष विवाह कानून का ही विकल्प रह गया था। हालांकि एक ओर जहां लडकी कानूनन विवाह योग्य है वहीं लड़के की उम्र अभी तय सीमा से कम है।

उम्र की पाबंदी को देखते हुए दोनों ने जुलाई में ‘मैत्री करार’ के लिए आवेदन किया था। ‘मैत्री करार’ एक तरह का फ्रेंडशिप अग्रीमेंट है। गुजरात में लिव-इन-रिलेशनशिप को औपचारिक रूप देने के लिए यह अग्रीमेंट किया और करवाया जाता है। एक ओर जहां दोनों जुलाई में यह आवेदन कर चुके थे, वहीं लड़की के माता-पिता सितंबर में उसे जबरन अपने साथ लेते गए। लड़के ने इसके बाद उच्च न्यायालय में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की और न्यायालय को बताया कि उसकी प्रेमिका को उसके माता-पिता ने बंदी बना रखा है।

जब न्यायालय में यह मामला आया तो बनासकांठा पुलिस लड़की को न्यायालय लेकर पहुंची। जहां लड़की ने बताया कि जैसे ही उसके बॉयफ्रेंड की उम्र २१ साल हो जाएगी, वे दोनों विवाह करना चाहते हैं। उसने यह भी कहा कि वह अपने माता-पिता के साथ नहीं रहना चाहती। (अल्पंसख्यक युवकोंद्वारा हिन्दु लडकीयोंको प्रेमजाल में फंसाकर वशीकरण किए जाने का यह उदाहरण है – सम्पादक, हिन्दुजागृति) न्यायालय ने लड़के को एक ऐफिडेविट जमा कराने को कहा है, जिसमें यह लिखा हो कि वह जैसे ही २१ साल का हो जाएगा, लड़की से विवाह करेगा।

स्त्रोत : नवभारत टाइम्स

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *