हिन्दुत्वनिष्ठों की संघटितता का परिणाम !
पिंपरी (पुणे) : यहां के एचए (HA) आस्थापन के प्रांगण में ३० नवंबर को संपन्न कुल जमाअती तंजीम की ओर से शासन के विरोध में आयोजित निषेध सभा में असुदुद्दीन ओवैसी अनुपस्थित रहे ! समस्त हिन्दू संघटनों की ओर से इस सभा को निरस्त करने के संदर्भ में पुलिस निरीक्षक को एक ज्ञापन प्रस्तुत किया गया था। हिन्दुत्वनिष्ठों के संघटित प्रयासों के परिणामस्वरुप एमआयएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी इस सभा में अनुपस्थित रहे, ऐसा दिखाई दिया !
१. इस सभा में मुस्लिम पर्सनल लॉ मंडल के सदस्य उबेदुल्ला खान आजमी ने कहा कि, ‘केंद्र शासन मुसलमान महिलाओं की चिंता करने का दिखावा करते हुए ३ बार तलाक देने के सूत्र के आधार पर मुस्लिम कानून में परिवर्तन करने का प्रयास कर रहा है। इस परिवर्तन के विरोध में ५ कोटि मुसलमान महिलाओं के हस्ताक्षर लिए गए। केंद्रशासन के इस हस्तक्षेप का अर्थ संविधान के लिए संकट है !’ (मुसलमानों को प्रमुख प्रवाह में घुलमिलकर नहीं जाना है और उनको अपना स्वतंत्र अस्तित्व रखना है, यही इससे सिद्ध होता है ! इसकी अपेक्षा मुसलमानों के लिए अलग कानून ही संविधान के लिए असल में एक संकट हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२. उन्होंने आगे कहा कि, ‘संविधान में व्याप्त प्रावधान के अनुसार ही मुसलमानों के लिए शरीयत कानून बनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीद्वारा इस कानून में हस्तक्षेप किया जाना लज्जास्पद है। मुसलमानों को नौकरियां एवं रोजगार का अवसर नहीं दिया जाता !’ (देश में मुसलमानों का इतना तुष्टीकरण हो रहा है, जिससे ऐसा प्रश्न उठता है कि यह देश हिन्दुओं का है अथवा मुसलमानों का ? मुसलमानों को यदि ऐसा लगता है कि यहां उनके साथ अन्याय किया जा रहा है, तो वो संतोष के साथ तत्परता से देश छोडकर चले जाएं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात