आश्विन शुक्ल पक्ष सप्तमी, कलियुग वर्ष ५११६
हिंदु जनजागृति समितीकी सफलता !
मुंबई – मुंबई उच्च न्यायालयके न्यायमूर्ति श्री. अभय ओक एवं न्यायमूर्र्ति श्री. गिरीश कुलकर्णीके खंडपीठद्वारा केंद्रशासनको प्लास्टिकके राष्ट्रध्वजकी निर्मितिपर प्रतिबंध लगानेके विषयमें ३० नवंबर २०१४ तक निर्णय लेनेका आदेश दिया गया है । हिन्दू जनजागृति समिति राष्ट्रध्वजका सम्मान करने हेतु पिछले अनेक वर्षोंसे समाजमें आंदोलन चला रही है । इस आंदोलनको सरकारका प्रतिसाद न मिलनेके कारण समितिद्वारा मुंबई उच्च न्यायालयमें वर्ष २०११ में जनहित याचिका प्रविष्ट की गई थी । इस याचिकापर २९ सितंबरको सुनवाई हुई । इस अवसरपर केंद्रशासनकी ओरसे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरलने पक्ष प्रस्तुत किया । हिन्दू जनजागृति समितिकी ओरसे अधिवक्ता श्री. आनंद पाटिल एवं अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकरने अपने सूत्र प्रस्तुत किए । केंद्र एवं राज्य शासनद्वारा अपना पक्ष प्रस्तुत करनेके पश्चात अगली सुनवाई ८ दिसंबर २०१४ को होगी ।
न्यायालयका युक्तिवाद एवं न्यायालयद्वारा दिए गए आदेश….
१. केंद्रशासनने अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए कहा कि छोटे बच्चे एवं साधारण नागरिक कागद एवं प्लास्टिकके ध्वज फहराते हैं । अतः उनपर अभियोग चलाना अनुचित होगा; परंतु इसपर न्यायालयद्वारा ‘प्लास्टिकके ध्वज न बनाए जाने हेतु आप क्या करेंगे ?,’ ऐसा प्रश्न पूछे जानेपर केंद्रशासनने उत्तर दिया कि हमने इस संदर्भमें सभी राज्यशासन एवं केंद्रशासित प्रदेशोंके मत मंगवाए हैं । उनके मत आनेपर हम निर्णय लेंगे । इसके लिए न्यायालयद्वारा केंद्रशासनको ३० नवंबरतककी कालावधि देकर निर्णय लेनेका आदेश दिया गया ।
२. राज्यशासनने इससे पूर्व केंद्रशासनसे ऐसे ध्वजोंपर प्रतिबंध लगाने हेतु कानूनमें तदनुसार परिवर्तन करनेकी विनती की थी । केंद्र एवं राज्य शासन दोनोंने कहा था कि वे इस प्रकरणमें व्यापक जनजागृति कर रहे हैं ।
३. न्यायालयने शासनसे स्वयंसेवी संस्थाओंकी सहायता लेने कहा था । इसके अनुसार समितिने राज्यशासनको पत्रद्वारा सूचित किया कि एक स्वयंसेवी संगठनके रूपमें वह राज्यशासनको आवश्यक सहायता करने हेतु सिद्ध है । साथ ही समितिने कहा कि एकत्रित किए राष्ट्रध्वज भी जनपदाधिकारी कार्यालयकी ओरसे नहीं लिए गए हैं । खंडपीठने इसपर ध्यान देते हुए सर्वत्रके जनपदाधिकारी एवं तहसीलदार कार्यालयोंको आदेश दिए कि समितिद्वारा एकत्रित राष्ट्रध्वज संग्रहित करें ।
४. इससे पूर्र्व राज्यशासन एवं शालेय शैक्षणिक विभागद्वारा सभी विद्यालय तथा महाविद्यालय समान शैक्षणिक संस्थाओंको सूचना देनेको कहा गया था तथा सभी जनपदाधिकारियोंको जनपद एवं तहसील स्तरपर इसके लिए समिति स्थापित कर जनप्रबोधन करने कहा गया था । इस संदर्भमें क्या कार्यवाही हुई, इसका ब्यौरा न्यायालयके समक्ष नहीं रखा गया । न्यायालयने यह ब्यौरा उसके सामने प्रस्तुत करनेका आदेश दिया ।
५. केंद्र एवं राज्य शासनको न्यायालयद्वारा इस प्रकरणमें व्यापक मात्रामें जनजागृति करने एवं इसके लिए समाचार एवं इलेक्ट्रॉनिक प्रसारमाध्यमोंका भी आधार लेनेका आदेश दिया गया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात