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दिवाली मनाते समय आध्यात्मिक दृष्टिकोण रखें ! – हिंदू जनजागृति समिति

कार्तिक कृ. ६, कलियुग वर्ष ५११४

मुंबई – हिंदू जनजागृति समितिद्वारा मुंबई मराठी पत्रकार संघमें एक पत्रकार परिषद आयोजित की गई । इस परिषदमें समितिके श्री. प्रसाद वडकेने कहा कि करोडों हिंदू धर्मीय दिवाली अधिकतर मनोरंजनकी दृष्टिसे मनाते हैं । इसलिए वे इस त्यौहारका आध्यात्मिक लाभ नहीं उठा पाते । हिंदुओंके देवी-देवता तथा राष्ट्रपुरुषोंके छायाचित्रसे युक्त पटाखे जलानेके कारण उनके चिथडे उडकर वे पैरोंतले कुचले जाते हैं । इससे उनका उपहास होता है तथा भारी मात्रामें होनेवाली पटाखोंकी आतिषबाजीके कारण वायुप्रदूषण एवं ध्वनिप्रदूषण होता है । इसलिए हिंदू जनजागृति समितिके श्री. प्रसाद वडकेद्वारा पटाखोंपर प्रतिबंध लगानेकी मांग करते हुए ऐसा आवाहन किया गया कि हिंदुओंको आध्यात्मिक दृष्टिसे दिवाली मनानी चाहिए । इस अवसरपर सनातन संस्थाकी श्रीमती मनाली नाईकने कहा कि दिवालीके धनतेरस, यमदीपदान, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मीपूजन, बलिप्रतिपदा एवं भैयादूज, इन सभी दिनोंका आध्यात्मिक महत्त्व बताया । उसी प्रकार दिवालीके उपलक्ष्यमें सात्त्विक रंगोली बनाने हेतु मार्गदर्शन करनेवाली छोटी पुस्तिका भी संस्थाद्वारा प्रकाशित की गई है । इस अवसरपर सनातनकी श्रीमती कमल गिरमकर भी उपस्थित थीं ।

पेण (रायगढमें) में समितिद्वारा पत्रकार परिषद

पेण (जनपद रायगढ) – यहां समितिद्वारा आयोजित पत्रकार परिषदमें समितिके श्री. जांभळेने समितिद्वारा दिवालीमें होनेवाली अनुचित घटनाएं रोकने हेतु गत ८ वर्षोंसे वैधानिक मार्गसे किए जानेवाले प्रयासों एवं इस उपक्रमको मिल रही सफलताके विषयमें जानकारी दी । इस अवसरपर सनातन संस्थाके श्री. मिलिंद पोशेने दिवालीका महत्त्व बताया । इस अवसरपर सनातन निर्मित सात्त्विक उत्पादोंकी प्रदर्शनी भी लगाई गई थी ।

क्षणिका

१. पटाखोंसे होनेवाले दुष्परिणाम तथा देवी-देवताओंके छायाचित्रोंसे युक्त पटाखे जलानेसे होनेवाली धर्महानिके विषयमें प्रबोधन करनेवाली दृश्यश्रव्य-चक्रिका दिखाई गई ।

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात

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