पिरंगुट (जिला पुणे) : ग्रामवासियों की ओर से शिवचरित्र पारायण उद्यापन समारोह
पिरंगुट (जिला पुणे) : जिसप्रकार भूतबाधा होती है, अनाज से विषबाधा होती है, उसीप्रकार इस देश को ‘म्लेंच्छबाधा’ हो गई है !
यदि यह बाधा नष्ट करनी है, तो हर युवक को अपने चित्त में स्थित प्रखर धर्माभिमान एवं देशाभिमान को जागृत रखना चाहिए। इसलिए शिवचरित्र का अभ्यास कर संघटित एवं सक्रिय समाज स्थापित करना चाहिए, श्री शिवप्रतिष्ठान के संस्थापक पू. संभाजीराव भिडेगुरुजी ने ऐसा आवाहन किया।
पिरंगुट ग्रामवासियों की ओर से शिवचरित्र पारायण उद्यापन समारोह के उपलक्ष्य में ४ दिसंबर को उनका व्याख्यान आयोजित किया गया था। इस अवसर पर वे बोल रहे थे। इस अवसर पर २ सहस्र से भी अधिक धारकरी एवं धर्माभिमानी उपस्थित थे।
भारत पर किए गए भयंकर इस्लामी आक्रमणों के संदर्भ में पू. भिडेगुरुजी ने कहा कि, इस्लामी आक्रमकों के बढते प्रभाव के कारण भारत देश खंडित हो गया। हिन्दुओं को ‘आत्म’विस्मृति होने के कारण ही शेष भारत आज हिन्दुस्थान कहलवाने के लिए सिद्ध नहीं है। हिन्दुओं में एकता का बीज न होने से एवं तत्कालीन राजाओं ने संस्थानों को टिकाकर रखने तक ही विचार करने के कारण देश पर विदेशी आक्रामक आक्रमण कर सके। परंतु छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस्लामी आक्रमणों को लौटाते हुए हिन्दुओं के स्वतंत्र हिन्दवी स्वराज्य का ध्येय रखा एवं पूरे विश्व में हिन्दू धर्म का ध्वज लहरा कर हिन्दवी साम्राज्य का विस्तार किया।
‘गढकोट रूपी’ शिवप्रभू के साथ में रहें ! – पू. भिडेगुरुजी
छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे बीच गढकिलों के रूप में सदैव हैं। इन गढकिलों पर अनेक नरवीरों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया है। आज के युवकों ने गढकिलों के रूप में रहनेवाले शिवप्रभु के साथ में रहना चाहिए। इसलिए श्री शिवप्रतिष्ठान की ओर से प्रतिवर्ष जनवरी में गढकिलों की मुहिमों का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी ११ से १५ जनवरी २०१७ की कालावधि में पन्हाळगढ से विशालगढ तक के मार्ग से ‘पावनखिंड’ मुहिम का आयोजन किया गया है। युवकों ने भारी संख्या में इसमें सम्मिलित होना चाहिए।
गुरु के (परात्पर गुरु डॉ. आठवले के) एक आवाज पर हम दौड कर आएंगे ! – पू. भिडे गुरुजी
कार्यक्रम के अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. दीपक आगवणे ने पू. भिडे गुरुजी से भेंट कर उन्हें परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवले के दैवी कार्य के संदर्भ में एक भेंट के रूप में दैनिक सनातन प्रभात का विशेषांक दिया। इस समय उन्होंने कहा कि मैंने सनातन प्रभात समान कोई समाचार पत्र नहीं देखा। सनातन प्रभात प्रत्येक भाषा में प्रकाशित होना चाहिए। सनातन का कार्य बडा है। अपने गुरु के (परात्पर गुरु डॉ. आठवले के) केवल एक आवाज पर हम दौड कर आएंगे !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात