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विरार (मुंबई) के ‘जय हिन्दुत्व’ एवं ‘युवा सेना’ के धर्माभिमानी युवकों ने रोका देवताओं का अनादर !

  • हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मशिक्षणवर्ग का परिणाम !

  • विविध स्थानोंपर खुले जगहों पर रखी गईं देवताओं की प्रतिमाएं एवं मूर्तियों को एकत्रित कर उनका समुद्र में विसर्जन किया !

सर्वत्र के हिन्दू देवताओं का अनादर न हों; इसके लिए इन जागृत धर्माभिमानी युवकों का आदर्श अपने सामने रखें ! – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात

देवताओं के चित्रों को मार्गपर कहां भी रखने पर होनेवाले अनादर का पाप उस चित्र रखनेवालो को लगता है। इस प्रकार से देवताओं का अनादर न हो; इसके लिए जीर्ण हुए देवताओं के चित्र एवं मूर्तियों को प्रार्थना कर जलाशय में समर्पित करना चाहिए अथवा अग्नि में समर्पित करना चाहिए, ऐसा शास्त्र कहता है !

विरार (मुंबई) : अनेक हिन्दू घरों में अनावश्यक देवताओं के चित्रों को शहर के चबूतरोंपर लाकर रखा जाता है। वहां की गंदगी में देवताओं के ये चित्र एवं मूर्ति बिखरे पडे हुए दिखाई देते हैं; परंतु ऐसे हिन्दुओं को इसका कुछ लेना-देना नहीं होता ! मार्गपर, गंदगी होनेवाले स्थानोंपर बिखरे पडे हुए इन चित्रों के कारण देवताओं का अनादर होने की बात यहां के जय हिन्दुत्व एवं युवा सेना के कार्यकर्ताओं के ध्यान में आ गई। इन युवकों ने शौर्यदिन के अवसरपर ६ दिसंबर को शहर में विविध स्थानोंपर बिखरे पडे इन चित्रों को एकत्रित कर उनका समुद्र में विसर्जन किया।

इस अभियान में श्री. शिव यादवसहित अन्य १४ धर्माभिमानी युवक सम्मिलित हुए। (धर्मशास्त्र ज्ञात होनेपर उसके अनुरूप आचरण करनेवाले ऐसे जागृत धर्माभिमानी सर्वत्र हों, तो हिन्दू राष्ट्र का प्रातःकाल दूर नहीं ! – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात) इस संदर्भ में अपना मनोगत व्यक्त करते हुए इन धर्माभिमानी युवकों ने बताया कि, हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से लिए जानेवाले धर्मशिक्षावर्ग में जाने के कारण इस प्रकार के देवताओं का अनादर होने की बात हमारे ध्यान में आ गई तथा उसको रोकने हेतु हम से ये कृति हो गई ! (इससे हिन्दुओं के लिए धर्मशिक्षा की कितनी आवश्यकता है, यह ध्यान में आता है। – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)

यहां के फुलपाडा, एम.बी. इस्टेट, विवा कॉलेज के निकट, गोकुल टाऊनशिप आदि स्थानोंपर वृक्षों के नीचे बिखरी पडी देवताओं की १०० प्रतिमाएं तथा २० मूर्तियों को एकत्रित किया तथा सायंकाल के समय उनका समुद्र में भावपूर्ण पद्धति से विसर्जन किया गया।

विशेष : समुद्र में ज्वार होने के कारण ये विसर्जित मूर्तियों के पुनः बाहर आने की संभावना थी; परंतु भावपूर्ण प्रार्थना किए जाने के कारण समुद्रदेवताद्वारा विसर्जित सभी प्रतिमाएं एवं मूर्तियों को अपने उदर में समा लिए जाने की अनुभूति प्राप्त होने की बात इन धर्माभिमानी युवकों ने कही !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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