हिन्दुओं, आपके बच्चों को ऐसे विद्यालयों में भेजकर ईसाई बनाना है क्या ?, इसे पहले सुनिश्चित करें !
विद्यालयों में योगाभ्यास का विरोध करनेवाले धर्मनिरपेक्षतावादी ऐसे प्रकरणों में चूप ही रहते हैं, इसे ध्यान में लें !
पनवेल : यहां के देहली पब्लिक स्कूल के नर्सरी से ८ वीं कक्षातक के प्रवेश हेतु लगाए गए विज्ञापन में एक छोटी लडकी को ‘नन’ के भेस में दिखाया गया है। इससे हिन्दुद्वेषी ईसाईयों का हिन्दुओं का धर्मपरिवर्तन करने के प्रयास का अंत:स्थ उद्देश्य उजागर हुआ है ! (शिक्षा संस्थान के विज्ञापन में किसी छात्र को आधुनिक वैद्य, अभियंता अथवा अधिवक्ता के रूप में दिखाया जाता है; परंतु ऐसा लगता है कि, जैसे इस विज्ञापन के माध्यम से इस विद्यालय में शिक्षा लेकर ‘नन’ बनाए, यही सुझाया जा रहा है ! ईसाई मिशनरियों के विद्यालयों में हिन्दुओं का ईसाईकरण कैसे किया जाता है, इसी का ही यह जिता-जागता प्रमाण है ! क्या, शासनकर्ता इसका संज्ञान लेंगे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
इसी प्रकार से उस में ‘अ स्कूल वेअर कंपॅशन इझन्ट टॉट, इट इज इव्होक्ड’ (एक ऐसा विद्यालय जहां, दूसरों के विषय में अनुकंपा कैसे उत्पन्न की जाती है, यह नहीं सिखाती, अपितु वह आप में उसे उत्पन्न करती है) ऐसा वाक्य लिखा गया है। (ईसाई पंथ दया एवं शांति का प्रतीक होनेवाला दिखाया गया एक हौवा है। ईसाईयोंद्वारा विश्वभर में किए गए युद्ध, विदेश में चर्चद्वारा महिलाओंपर किए हुए अनगिनत अत्याचार, गोवा में धर्मपरिवर्तन न करनेवाले हिन्दुओंपर किए गए अत्याचारों के संदर्भ में होनेवाले अनगिनत प्रमाण ईसाईयों के इस कथित ‘दया एवं शांति’ के भ्रम के गुब्बारे को फोडनेवाले हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
एक लडकी को नन के भेस में दिखाने के पीछे बच्चों के मन में उस विषय में आकर्षण उत्पन्न कर उनका धर्मपरिवर्तन करने का अंत:स्थ उद्देश होने की शंका व्यक्त करनेवाला होने के कारण यह शिक्षा संस्थान इस संदर्भ में स्पष्टीकरण दें तथा इस विज्ञापन को वापस ले, यह मांग हिन्दुत्वनिष्ठों की ओर से की जा रही है। छात्रों के बालमन में भ्रम उत्पन्न करनेवाले इस चित्र को हटाया नहीं गया, तो हिन्दू अभिभावक अपने बच्चों को ऐसे शिक्षा संस्थानों में प्रविष्ट करने के संदर्भ में फिर से विचार करेंगे, ऐसी चेतावनी भी हिन्दुत्वनिष्ठों की ओर से दी गई है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात