देवभूमि उत्तराखंड के चमोली जिले में एक ऐसा मंदिर है जो हमेशा प्रलय के संकेत देता है । नरसिंह मंदिर जोशीमठ के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर भगवान नरसिंह को समर्पित है, जो लक्ष्मीपति भगवान विष्णु के चौथे अवतार हैं ।
बताया जाता है कि इस मंदिर की मूर्ती का निर्माण राजा ललितादित्य युक्का पीडा ने करवाया था । हालांकि कुछ यह भी मानते हैं कि शालिग्राम से एकाएक यह मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी । यहां भगवान नरसिंह एक एक कमल पर विराजमान हैं ।
यहां भगवान नरसिंह के साथ बदरीनाथ, कुबेर और उद्धव भी स्थापित हैं । इस मंदिर भगवान राम और सीता की मूर्ती भी विराजमान है । बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापित भगवान नरसिंह की मूर्ती हर साल पतली होती जाती है ।
यहां भगवान नरसिंह का एक हाथ पतला है और यह पतला होता जा रहा है । ऐसी मन्यता है कि कलयुग के अंत में हाथ पतला होकर टूटकर गिर जाएगा और इसके बाद प्रलय होगी । बदरीनाथ के नर और नारायण पर्वत एक हो जाएंगे और वर्तमान में जहां बदरीनाथ की पूजा होती है वहां नहीं हो पाएगी ।
फिर यह जोशीमठ के तपोवन क्षेत्र में स्थित भविष्य बदरी मंदिर में भगवान बद्रीनाथ के दर्शन होंगे । केदारखंड के सनतकुमार संहिता में भी इसका उल्लेख मिलता है ।
भविष्य बदरी मंदिर के पास ही एक पत्थर पर आदि गुरू शंकराचार्य ने एक भविष्य वाणी भी लिखी है । मान्यता है कि आज तक यह भविष्य वाणी कोई भी नहीं पड़ सका है ।
भगवान नरसिंह को अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने के लिए और राक्षस हिरण्यकशिपु का वध करने के लिए जाना जाता है । हिरण्यकशिपु को वध करने के लिए भगवान ने आधा शरीर मनुष्य का और आधा शरीर सिंह के रूप में अवतार लिया था ।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स