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क्या क्रांतिकारियों ने जिस भारत का सपना देखा था, वह यही है ? – शंकराचार्य स्वामी निश्‍चलानंद सरस्वती

उज्जैन : क्रांंतिकारियों ने देश को स्वतंत्रता प्राप्त होने हेतु सर्वस्व का त्याग किया । स्वतंत्रताप्राप्ति से लेकर आज तक की स्थिति को देखा, तो उन्होंने जिस भारत का सपना देखा था, क्या वह यही है ? यदि क्रांतिकारियों द्वारा देखे गए सपनों के भारत का प्रत्येक व्यक्ति ने विचार किया, तो देश में परिवर्तन की दिशा स्पष्ट होगी । पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्‍चलानंद सरस्वती ने ऐसा प्रतिपादित किया । वे १२ दिसंबर को यहां के हरसिद्धी मंदिर के सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में जिज्ञासुओं द्वारा पूछे प्रश्‍नों को उत्तर दे रहे थे । इस अवसर पर स्वामी निर्विकल्पानंद महाराज एवं उज्जैन के महंत पू. शेखरानंदजी महाराज उपस्थित थे ।

१. शंकराचार्य जी ने आगे कहा कि, धार्मिक क्षेत्र में हस्तक्षेप करनेवाले राजनेता राजधर्म की ही हत्या कर रहे हैं । मंदिर तथा शिक्षा ये क्षेत्र धर्म के नियंत्रण में हैं; परंतु आज इस क्षेत्र पर राजनेताओं ने नियंत्रण स्थापित किया है, जो अराजकता की चरमसीमा है ।

२. समान नागरी कानून के संदर्भ में उन्होेंने कहा कि, इस कानून का अर्थ एवं आधार क्या है ? समान नागरी कानून अर्थात किस को किस के समान करेंगे ? हिन्दुओं के पीछे सब आएंगे कि, अन्य लोगों के पीछे हिन्दुओं को ले जाएंगे ? इन सब में हिन्दुओं का ही बलि चढनेवाला है ।

३. हिन्दुओं पर की समस्याओं के विषय में उन्होंने कहा कि, हिन्दुओं को प्रतिद्वंद्वी कोई नहीं है । परंतु हिन्दुओं के शत्रु अनेक हैं । दर्शन, विज्ञान एवं व्यवहार के स्तर पर शतप्रतिशत हिन्दुओं को चुनौती देनेवाले कोई नही है । अब्जावधि वषोंं की हमारी परंपरा को ये एक चुटकी में समाप्त नहीं कर सकते । आज विश्‍व हिन्दू धर्म का स्वीकार करने सिद्ध है; परंतु भारत के राजनेता एवं जनता ये स्वीकार करने के लिए सिद्ध नहीं हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है ।

४. आरक्षण के विषय में शंकराचार्य च ने कहा कि, हम हिन्दू धर्म द्वारा बताए गए आरक्षण के कठोर समर्थक हैं । हमारे धर्म ने वर्णाश्रमव्यवस्था के अंतर्गत प्रत्येक की जिविका निर्धारित की थी । आज नोक‍रियां उपलब्ध न होते हुए भी शासन आरक्षण की भाषा बोल कर प्रताडित करता है । कोई भारत की ज्ञानशक्ति का उपयोग नहीं करता । इसलिए विदेशी उसका उपयोग कर रहे हैं । आज पूर्ण विश्‍व हिन्दू धर्म का स्वीकार करने सिद्ध है; परंतु भारत के राजनेता एवं जनता हिन्दू धर्म को स्वीकार करने सिद्ध नहीं है । तब भी अपना धर्म सत्य है एवं सत्य अपना मार्ग निकालेगा ।

क्षणिका

इस अवसर पर सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से श्री. योगेश वनमारे ने पुष्पमाला एवं फल अर्पण कर शंकराचार्य जी का आशीर्वाद लिया एवं उन्हें भेंटस्वरूप ‘सनातन प्रभात’ का अंक दिया ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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