कार्तिक कृष्ण 8, कलियुग वर्ष 5114
पाटलिपुत्र (बिहार) : चित्रकार म.फि. हुसैनके छायाचित्रोंकी प्रदर्शनी बिहारकी राजधानी पाटलिपुत्रके (पटना) आर्टस् एंड क्राफ्ट महाविद्यालयमें लगाई गई थी । ( हिंदुओंके देवी-देवता एवं भारतमाताके नग्नचित्र बनाकर राष्ट्र एवं हिंदुधर्मका अनादर करनेवाले चित्रकार हुसैनके विरोधमें पूरा देश आक्रोशित हो उठा था । राष्ट्र एवं धर्मभावनाओंको आहत किए जानेके संदर्भमें उनके विरोधमें न्यायालयमें अभियोग प्रविष्ट किए गए थे । फिर भी हुसैनके छायाचित्रोंकी प्रदर्शनी लगाना हिंदूद्रोह ही है ! हिंदू राष्ट्रमें ऐसे हिंदद्रोहियोंको कानूनन कठोर दंड दिया जाएगा ! – संपादक) इस प्रदर्शनीमें हुसैनके ३९ छायाचित्र प्रदर्शित किए गए थे । हिंदू जनजागृति समितिद्वारा प्रदर्शनीका विरोध किया गया था । प्रदर्शनी लगानेसे महाविद्यालयके विद्यार्थी अर्थात अगली पीढीके समक्ष अयोग्य संदेश पहुंचेगा । इसलिए हिंदू जनजागृति समितिद्वारा प्रदर्शनी तत्काल निरस्त करनेकी मांग करते हुए महाविद्यालयके प्रा.(डॉ.) क्रितेश्वर प्रसादको एक ज्ञापन दिया गया था । इस मांगकी उपेक्षा कर यह प्रदर्शनी लगाई गई । ( हिंदुओंकी धर्मभावनाओंकी उपेक्षा करनेवाले ऐसे महाविद्यालयोंका हिंदुओंको वैधानिक मार्गसे विरोध करना चाहिए ! – संपादक )
महाविद्यालयके प्रांगणमें ‘तक्षिला आर्टगैलरी’ में यह प्रदर्शनी लगाई गई थी । महाविद्यालयके भूतपूर्व प्राचार्य श्याम शर्माने उद्घाटनके अवसरपर कहा था कि हुसैनके छायाचित्रोंसे स्पष्ट होता है कि वे महिलाओंको अधिकार देनेके पक्षमें थे । ( हुसैनने अपने चित्रोंके माध्यमसे अश्लीलताका दर्शन करवाया है । क्या शर्माको यह समझमें नहीं आता कि महिलाओंके सौंदर्यके नामपर अश्लीलता दिखानेका प्रयास हुसैनद्वारा किया गया है ? – संपादक )
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात