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वारकरी एवं हिन्दुत्वनिष्ठों के विराेध के कारण दैनिक लोकमत द्वारा क्षमायाचना !

संत तुकाराम महाराज के संदर्भ में अयोग्य लेखन प्रसिद्ध करने के प्रकरण !

वारक‍रियों, इसीप्रकार से हिन्दू धर्म पर होनेवाले प्रत्येक आघात का वैधानिक मार्ग से निषेध कर उसे लौटाए !

सांगली – दैनिक लोकमत समाचार द्वारा १७ दिसंबर को संत तुकाराम महाराज के अभंग की शैली का उपयोग कर ३१ दिसंबर मनाने के संदर्भ अत्यंत आपत्तिजनक लेखन प्रसिद्ध किया था । संतशिरोमणी जगद्गुरु संत तुकाराम महाराज के संदर्भ में इस प्रकार का आपत्तिजनक लेखन प्रसारित होते ही महाराष्ट्र में वारक‍रियों के साथ सभी भक्त समाज में क्रोध की लहर व्याप्त हो गई । वारक‍रियों के अनेक फेसबुक, वॉटस् एप गुट में इस का निषेध आरंभ हुआ, जिस में अनेक लोगों ने दूरभाष कर दैनिक लोकमत के कार्यालय में निषेध व्यक् त किया । अनेक लोगों ने लोकमत का बहिष्कार करने का भी आवाहन किया । अंत में दैनिक लोकमत ने झुकते हुए रविवार, १८ दिसंबर के अंक में इस संदर्भ में लिखित रूप में स्पष्टिकरण कर सार्वजनिक क्षमायाचना की । जिस क्षेत्र में संतप्त प्रतिक्रियाएं उभरीं, उस क्षेत्र में विशेष कर आळंदी, भोसरी, देहू, चाकण, पंढरपुर के साथ वारकिरयों की संख्या अधिक रहनेवाले जिले से प्रतिक्रियाएं आई थीं । सांगली जिले में श्रीसंत सेवा वारकरी सांस्कृतिक प्रतिष्ठान तथा सांगलीवाडी ने भी इसका निषेध किया ।

लोकमत द्वारा की गई क्षमायाचना आगे दिए अनुसार – शनिवार १७ दिसंबर के लोकमत के संपादकीय पृष्ठ पर ‘जराशी गंमत समाजमाध्यमांची’ इस सदर के अंतर्गत प्रसिद्ध लेखन द्वारा जगद्गुरु तुकाराम महाराज को कलंकित अथवा उन्हें तिरस्कृत करने का कोई उद्देश्य नहीं था; परंतु इस सार से वारकरी समाज तथा और भी बडा वर्ग त्रस्त एवं संतप्त होने की बात हमें बताई गई है । इस विषय में हमें खेद है ।- संपादक, लोकमत

(दैनिक लोकमत में प्रसिद्ध आगे का लेखन पाठकों की जानकारी के लिए प्रसिद्ध किया गया है एवं किसी की भावना दुखाने का उद्देश्य नहीं है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

आपत्तिजनक लेखन

‘तुका म्हणे जीवा लागलीसे न्यू इयरची आस, अ‍ॅडमीन देससे पार्टी ऐसा होतसे भास’ एडमीन के उत्तर ‘तुका म्हणे ऐसा लोभ न करावा’ नोटबंदी होने के कारण हमारी व्यवस्था हमें ही करनी चाहिए ।

लोकमत के हिन्दू एवं मुसलमानों के प्रति पक्षपात को जानें !

२९ नवंबर को नवंबर को ‘इसिस’ का पैसा इस लेख की संरचना में प्रयुक्त अरबी शब्दों के कारण सभी मुसलमान बन्धुओं की भावनाएं आहत हुई हैं । इस गंभीर त्रूटी के विषय में लोकमत गंभीर रूप से दुःखी है । हम इस विषय में खेद व्यक्त करते हैं । केवल अनावधान से यह चूक हुई है तथा किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का उद्देश्य नहीं है । कभी भी नहीं था एवं होगा भी नहीं । लोकमत से सदैव सर्वधर्मसमभाव पर विश्‍वास रखा है । त्रूटियों के लिए जबाबदार लोगों पर तत्काल कार्यवाही की गई है । ऐसे आशय का बडे चौखट में लंबा स्पष्टिकरण लोकमत ने मुसलमानों की धार्मिक भावनाएं पिछले वर्ष किया था एवं इन हिन्दुओं के संदर्भ में त्रूटि के विषय में केवल पडोस में दिएनुसार ऐसा अत्यंत संक्षेप में स्पष्टिकरण किया है । (हिन्दू संगठित न रहने का ही परिणाम है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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