पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति घोटाले का प्रकरण
नागपुर – पिछले वर्ष विधानसभा में पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति के अंतर्गत आनेवाले ३ सहस्र ६७ मंदिरों के घोटाले के संदर्भ मे लक्षवेधी सूचना प्रस्तुत की गई थी । इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री. देवेंद्र फडणवीस ने ८ अप्रैल २०१५ को इस विधानसभा में लक्षवेधी पर विचार-विमर्श करते हुए ६ माह में विस्तृत रूप से जांच कर अपराधियों पर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया था । प्रत्यक्ष में अपराधियों पर कौनसी कार्यवाही की उसका ब्यौरा विशेष अन्वेषण पथक ने (एस.आयटीने) अभी तक प्रस्तुत नहीं किया । अपराधियों पर कार्यवाही न करने के कारण पुराने सदस्य अभी तक खुले घूम रहे हैं । इसलिए शिवसेना के विधायक श्री. राजेश क्षीरसागर ने १७ दिसंबर को विधानसभा में उचित अवसर के सूत्र प्रस्तुत करते समय देवस्थानों की पुराने सदस्यों वाली भ्रष्ट समितियों को त्वरित बरखास्त (विसर्जित) कर नए सदस्यों की नियुक्ति करने एवं एस.आइ.टी. द्वारा घोटाले की जांच का ब्यौरा प्रस्तुत कर अपराधियों पर कठोर कार्यवाही करने की मांग की ।.
हिन्दू जनजागृति समिति, हिन्दू विधिज्ञ परिषद एवं अन्य भक्तों द्वारा प्रमाण के साथ पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान के अंतर्गत आनेवाले कोल्हापुर के श्री महालक्ष्मी मंदिर के साथ कुल ३ सहस्र ६७ मंदिरों के करोडो रुपयों का घोटाला उजागर किया गया था । इस के फलस्वरुप विशेष अन्वेषण दल द्वारा पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति के घोटाले की एवं राज्य अपराध अन्वेषण (सीआइडी) विभाग द्वारा तुलजापुर देवस्थान समिति के घोटाले की जांच आरंभ हुई; परंतु जानबूझकर अनेक वर्षों से इन जांचों को विलंब किया जा रहा है ।
इसलिए प्रमाण नष्ट होने की संभावना अधिक होने से भक्त गणों में क्रोध की लहर उत्पन्न हुई है । इसे टालने एवं देवनिधि की चोरी का पाप भाजपा-सेना शासन को न लगने हेतु हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों की ओर से समय समय पर आंदोलन के माध्यम से शासन से आनेवाले ३ मास में सभी देवस्थान के घोटालों की जांच पूरी कर अपराधियों पर कठोर कार्यवाही करने तथा इन मंदिरों के भ्रष्ट कामकाज के नैतिक दायित्व को स्वीकार कर सभी भ्रष्ट शासकीय देवस्थान समितियों को तत्काल बरखास्त (विसर्जित) करने की मांग की गई थी । उसीप्रकार हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने नागपुर विधानभवन के पास संंतप्त प्रदर्शन एवं घोषणाबाजी की थी ।