बालक बालिकाओं में वर्तमान शिक्षा के साथ-साथ श्रीमद्भगवद्-गीता के अध्ययन से उनके व्यक्ति का सर्वांगीण विकास कर श्रेष्ठ नागरिक बन भारत के प्राचीन गौरव को पुनः विश्वपटल पर स्थापित करने के उद्देश्य को लेकर आध्यात्मिक गुरु स्वामी संवित् सोमगिरिजी महाराज, अधिष्ठाता श्रीलालेश्वर महादेव मन्दिर, शिवमठ, शिवबाड़ी के सान्निध्य में गत २२ वर्षों से विद्यालय और महाविद्यालय स्तर पर गीता ज्ञान परीक्षा, राज्य स्तरीय महाविद्यालय वर्ग में भाषण प्रतियोगिता, गीता श्लोक स्मरण परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है । इसी सन्दर्भ प्रस्तुत है विवेक मित्तल, स्वतन्त्र पत्रकार द्वारा लिये गये साक्षात्कार के अंश-
प्रश्न १. गीता ज्ञान परीक्षा के आयोजन का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर : वास्तव में यह आयोजन हमारे द्वारा नहीं किया जा रहा है । यह आयोजन शिव संकल्प के रूप में, साक्षात परब्रह्म के अवतार भगवान श्रीकृष्ण के संकल्प के रूप में, भगवद्गीता स्वयं चाहती है कि, हम इसके निमित्त बन उसकी आराधाना करें ।
प्रश्न २. क्या हम गीता को जन-जन तक पहुँचाने में सफल हो रहे हैं ?
उत्तर : इस परीक्षा के आयोजन से निश्चत रूप से बच्चों के कोमल अन्तःकरण में गीता के शब्द प्रतिष्ठत हो रहे हैं, घर-घर में गीता पहुँच रही है, लाखों लोग मीडिया के माध्यम से, विद्यालयों के माध्यम से, आपस की चर्चा के माध्यम से गीता के बारे में जान रहे हैं लाभान्वित हो रहे हैं ।
प्रश्न ३. क्या श्रीमद्भगवद्गीता को पाठ्यक्रम के रूप में विद्यालयों में पढ़ाया जाना चाहिए ?
उत्तर : शिक्षा भारतीय संस्कृति के अनुसार, गुरुकुल परम्परा के अनुसार होनी चाहिए । शिक्षा भी सत्ता के अधीन नहीं रहनी चाहिये तथा गुरु और शिक्षक कभी भी पेड सर्वेण्ट नहीं होने चाहिये । पूर्व में लोक और समाज द्वारा संधारित गुरुकुल चला करते थे ऐसे ही चलने चाहिए । सत्ता का अंकुश रहेगा और गीता पढ़ाई भी जायेगी तो वांछित प्रभाव नहीं होगा ।
प्रश्न ४. क्या ६ वर्ष से १२ वर्ष तक के बालक-बालिकाओं को गीता पढ़ाई जाये तो श्रेष्ठ नागरिक बनकर निकलेंगे ।
उत्तर : अच्छा प्रश्न है यह । हम चाहते हैं कि, गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क में गीता के स्पन्दन जाने चाहिए, उस कक्ष में, घर में, गीता के श्लोक बोले जायें । गर्भणी मातृमूर्ति जब गीता के श्लोंकों को सुनेगी, पढ़ेगी तो उसका असर गर्भस्थ शिशु अवश्य होगा ।
प्रश्न ५. क्या मानव प्रबोधन प्रन्यास ने ऐसा कुछ पाठ्यक्रम बनाया है जिसके आधार पर शिक्षा मन्त्रालय विद्यालयों पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया जा सके ?
उत्तर : मानव प्रबोधन प्रन्यास कार्यकारिणी ने विद्यार्थियों के लिए उपयोगी श्लोकों का चयन किया है तथा उसको गीता श्लोक स्मरण परीक्षा में रखा गया है । अब हम उसको विधिवत रूप से शिक्षा मंत्रालय और अन्य सम्बन्धित विभागों में भेजेंगे ताकि वे इसकी महत्ता को स्वीकारें और पाठ्यक्रम में शामिल करें ।
प्रश्न ६. श्रीमद्भगवद्-गीता के प्रचार-प्रसार हेतु डिजीटल उपयोग की भावी रणनीति क्या है ?
उत्तर : कार्यकर्ताओं ने इस दिशा में सोचना आरम्भ कर दिया है, इस सम्बन्ध में सुझाव आ रहे हैं । उन पर विचार करके ऑन लाईन परीक्षा के लिए आवश्यक हुआ तो सॉफ्टवेयर/एप बनवाया जायेगा । इस पर कार्य चल रहा है ।
साक्षात्कारकर्ता विवेक मित्तल,
स्वतन्त्र पत्रकार