नवसारी (गुजरात) : धर्मांतरण का मुद्दा उठाते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि देश में ऐसी कोशिशें हिन्दुआें के विषय में सफल होने की संभावना नहीं है क्योंकि मिशनरियों में उतनी ‘ताकत नहीं है।’ उन्होंने हिंदू एकता पर जोर दिया और जाति एवं भाषा से परे जाकर समुदाय के सदस्यों से साथ आने की अपील की।
उन्होंने कहा, ‘अमेरिका, यूरोप में लोगों को ईसाई धर्म में लाने के बाद वे (मिशनरी) एशिया पर नजर रखे हुए हैं। चीन खुद को धर्मनिरपेक्ष कहता है, लेकिन क्या वह खुद को ईसाई धर्म के तहत आने देगा? नहीं। क्या पश्चिम एशियाई देश ऐसा होने देंगे? नहीं। वे अब सोचते हैं कि भारत ही ऐसी जगह है।’ किंतु अब उन्हें समझ लेना चाहिए कि ३०० साल से ज्यादा समय से जोरदार कोशिशें करने के बाद भी केवल छह प्रतिशत भारतीय जनसंख्या ईसाई बन सकी है। क्योंकि उनमें ताकत नहीं है।’ जिले के वंसदा में भारत सेवाश्रम संघ की ओर से आयोजित विराट हिंदू सम्मेलन के समापन संबोधन में मोहन भागवत ने ये बातें कही।
मोहन भागवत उदाहरण देते हुए कहा कि, अमेरिका का एक गिरजाघर और ब्रिटेन का एक गिरजाघर क्रमश: गणेश मंदिर और विश्व हिंदू परिषद के कार्यालय में बदल दिया गया। उन्होंने कहा कि, अमेरिका के एक हिंदू व्यापारी ने यह काम किया।
उन्होंने कहा, ‘उनके अपने देशों में (मिशनरियों की) यह स्थिती है और वे हमें बदलना चाहते हैं। वे ऐसा नहीं कर सकते, उनमें इतनी ताकत नहीं है। हिंदुओं से यह याद रखने चाहिए कि, वे कौन हैं और उनकी संस्कृति कितनी ऊंची है।
उन्होंने कहा, अपने ही देश में रहकर आज हिंदू धर्म मुश्किल में है। यह हमारी भूमि है, (उत्तर में) हिमालय से लेकर (दक्षिण में) सागर तक। यह हमारे पूर्वजों की भूमि है। भारत माता हम सब की मां है। हम स्वयं को भूल चुके हैं। हम सब हिंदू हैं। हमारी जातियां, जो भाषाएं हम बोलते हैं, हम जिस क्षेत्र से हैं, हम जिसे पूजते हैं, वे अलग-अलग रहने दें। जो भारत माता के पुत्र हैं, वे हिंदू हैं। इसलिए भारत को हिंदुस्तान कहा जाता है।’
स्तोत्र : झी न्यूज