महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से, जेएनयू देहली के संस्कृत विभाग को सदिच्छा भेट !
नई देहली : हाल ही में हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक एवं महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने यहां के जवाहरलाल नेहरू विद्यापीठ (जेएनयू) के संस्कृत विभाग प्रमुख डॉ. गिरिशनाथ झा से सदिच्छा भेंट की।
इस अवसर पर पू. डॉ. पिंगळेजी ने डॉ. झा को ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की स्थापना का उद्देश्य बताया एवं इस संदर्भ में एक ध्वनिचित्रफीत दर्शाई। इस अवसर पर महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के श्री. प्रणव मणेरीकर एवं श्रीमती क्षिप्रा जुवेकर भी उपस्थित थीं।
डॉ. झा द्वारा १८ दिसंबर को ‘जेएनयू’ में आयोजित आंतर्राष्ट्रीय संस्कृत संम्मेलन में ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ के संशोधकों को शोधकार्य प्रस्तुत करने हेतु अवसर दिया गया था।
इस अवसर पर डॉ. झा ने कहा कि, ‘जेएनयू’ में वामपंथियों की ओर से संस्कृत को विरोध होता है। उनके मतानुसार संस्कृत भाषा उच्चभ्रू लोगों के लिए एवं विकासविरोधी है। शुद्र एवं महिलाओं को वेदपठण करने से मना किया गया है। हमारे विद्यापीठ में संस्कृत विभाग की बिल्डिंग ‘स्वस्तिक’ के आकार की होने से उसे भी वामपंथियों की ओर से विरोध किया जाता है !
हमें इस प्रकार के अपप्रचारों का प्रतिवाद करने में सक्षम विद्वान लोगों की आवश्यकता है, इसलिए हम आपको आमंत्रित करेंगे !’
क्षणिकाएं
१. डॉ. गिरिशनाथ झा ने महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के कार्य की प्रशंसा की !
२. उन्होंने गोवा के सनातन आश्रम में आने की इच्छा प्रदर्शित की !
३. पू. डॉ. पिंगळेजी ने डॉ. झा को हिन्दी भाषीय ‘सनातन पंचांग २०१७’ भेंट स्वरुप दिया।
४. पू. डॉ. पिंगळेजी ने डॉ. झा को अप्रैल में गोवा में होनेवाले संस्कृत सम्मेलन की जानकारी दी।
५. डॉ. झा प्रमुखपद पर होते हुए भी नम्र हैं। पू. डॉ. पिंगळेजी की भेंट लेने में डॉ. झा को विलंब हुआ, तो सर्वप्रथम उन्होंने हाथ जोड कर क्षमायाचना की !
‘जेएनयू’ के संदर्भ में ध्यान में आए सूत्र ….
१. ‘जेएनयू’ का परिसर अतिशय निर्जन स्थान पर है !
२. वहां के छात्रालय के नाम चंद्रभागा, सतलज, गोदावरी ऐसे हैं !
३. संस्कृत विभाग में कार्यरत कर्मचारी सात्विक एवं सुसंस्कारित प्रतीत हुए !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात