देहरादून : जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से जड़ी-बूटियों के संरक्षण के लिए तैयार किए जा रहे डाटा बेस के तहत पहली बार विज्ञानियों ने बदरी तुलसी पर परीक्षण किया। इस देसी हिमालयी जड़ी के अंदर जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने की अद्भुत क्षमता पाई गई।
वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) की इकोलॉजी, जलवायु परिवर्तन तथा फॉरेस्ट इन्फ्सुएंस डिवीजन ने अपने ओपन शीर्ष चैंबर में इस पर परीक्षण किया। इसमें पाया गया कि, सामान्य तुलसी और अन्य पौधों से इसमें कार्बन सोखने की क्षमता १२ प्रतिशत अधिक है। तापमान अधिक बढ़ने पर इसकी क्षमता २२ प्रतिशत और बढ़ जाएगी। इसका पौधा ५-६ फीट लंबा हो जाता है। पौधे एक कै नोपी (छतरी) की शक्ल बना लेते हैं, जिससे यह अधिक कार्बन सोख लेती है।
चारधाम आने वाले सैलानी और श्रद्धालु बदरी तुलसी को प्रसाद के रूप में अपने घर ले जाते हैं। क्षेत्रीय लोगों ने इसे भगवान बदरी विशाल को समर्पित कर दिया है। कोई भी इसके पौधों को हानि नहीं पहुंचाता। सिर्फ श्रद्धालु इसे प्रसाद ग्रहण करने की भावना से तोडते हैं।
बदरी तुलसी इतने बडे प्रमाण पर केवल बदरीनाथ धाम में ही मिलती है। पुराणों में इसके औषधीय गुणों का खूब बखान किया गया है। लोग इसकी चाय भी पीते हैं। लेकिन जलवायु परिवर्तन से पैदा हो रहे नए माहौल में इसके अन्य गुण भी उजागर हो गए हैं।
स्तोत्र : अमर उजाला