जर्मनी के उप चांसलर ने देश में बढते इस्लामी कट्टरपंथी रुझान से निपटने के लिए कडे कदम उठाने को कहा है । बर्लिन में क्रिसमस मार्केट में हुए “इस्लामिक स्टेट के हमले” के बाद उनका यह बयान आया है ।
उप चांसलर जिगमार गाब्रिएल ने साप्ताहिक समाचार पत्रिका डेय श्पीगेल के साथ एक विशेष इंटरव्यू में कहा कि, “सलाफी मस्जिदों पर प्रतिबंध लगना चाहिए, ऐसे लोगों के जमा होने पर रोक लगनी चाहिए और ऐसे उपदेशकों को जल्द से जल्द देश से निकाला जाना चाहिए ।” उन्होंने कट्टरपंथियों को किसी कीमत पर सहन न करने की बात कही । जर्मनी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता गाब्रिएल ने कहा कि, जो लोग हिंसा को भडकाते हैं उन्हें धार्मिक आजादी के तहत संरक्षण नहीं दिया जा सकता ।
गाब्रिएल ने श्पीगेल से कहा, “अगर हम इस्लामी कट्टरपंथ और आतंकवाद से लडने के विषय में गंभीर हैं तो यह एक सांस्कृतिक लडाई भी होगी ।” जर्मन उप चांसलर ने बताया कि, जो लोग सीरिया में आईएस के लिए लडने गए हैं उनमें से आधे जर्मन हैं और इनमें से बहुत से लोगों के माता पिता जर्मन हैं ।
गाब्रिएल ने इस्लामी कट्टरपंथियों के विरुध्द कडे कदम उठाने की अपील की है । जर्मनी में इस्लाम की कट्टरपंथी सलाफी शाखा भी बहुत सक्रिय बताई जाती है । स्वयं के धार्मिक तरीकों को “सच्चा धर्म” करार देने वाले सलाफी रुढ़िवादी तरीके से कुरान का अनुवाद कर बीते सालों में जर्मन शहरों में कुरान बांट चुके हैं ।
दिसंबर में बर्लिन क्रिसमस हमले को अंजाम देने वाले अनीस आमरी के संबंध भी कट्टरपंथियों से बताए जाते हैं । उसने लोगों पर ट्रक चढ़ाकर १२ लोगों की जान ले ली जबकि लगभग ५० को घायल कर दिया । बाद में, अनीस आमरी इटली में पुलिस के साथ एक मुठभेड में मारा गया । संदेह है कि वह आईएस से सहानुभूति रखता था । आमरी एक ट्यूनीशियाई शरणार्थी था और एक इराकी उपदेशक अबु वला के संपर्क में भी था ।
चांसलर अंगेला मैर्केल ने नए साल पर अपने संदेश में कहा था कि इस बात की गहराई से पडताल की जाएगी कि इस्लामी कट्टरपंथी आतंकवाद से निपटने में कहां चूक हो रही है ।
स्त्रोत : डी डब्ल्यू न्यूज