Menu Close

२०१६ में जर्मनी में शरणार्थियों की संख्या में आई दो तिहाई कमी

जर्मन गृह मंत्री ने बताया कि वर्ष २०१६ में जर्मनी में शरण लेने के इच्छुक कुल २ लाख ८० हजार लोगों ने आवेदन दिया, जो कि एक साल पहले की संख्या का केवल एक तिहाई है। जर्मनी को सुरक्षित बनाने के लिए हुई नए कानूनी सुधारों की घोषणा का यह परिणाम दिख रहा है।

२०१५ में जर्मनी में शरणार्थी संकट चरम पर पहुंच गया था, जब कुल ८ लाख ९० हजार लोग यूरोप की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था यानी जर्मनी में शरण लेने पहुंचे। जर्मन विस्थापन कार्यालय ने बताया है कि २०१६ में उसे शरण के लिए कुल ७ लाख ४५ हजार आवेदन मिले। ये आवेदन देने वाले ज्यादातर ऐसे प्रवासी थे, जो पिछले साल या उसके भी पहले यूरोप पहुंचे थे। इनमें से करीब ३६ प्रतिशत आवेदक युद्धग्रस्त सीरिया के लोग, करीब १७ प्रतिशत अफगानिस्तान के और लगभग १३ प्रतिशत इराकी थे।

कैसे कम हुए शरणार्थी

२०१६ की शुरुआत में जर्मनी पहुंचने वाले प्रवासियों की संख्या में अचानक गिरावट आई थी, जब ट्रांजिट रूट में पड़ने वाले कई बाल्कन देशों ने अपनी सीमाएं बंद कर दीं। इसके बाद जर्मनी की अगुआई में ईयू ने तुर्की के साथ एक विवादास्पद समझौता किया, जिससे तुर्की से ग्रीस पहुंचने वाले लोगों की संख्या में कमी आई। फिर जर्मनी ने कुछ पश्चिमी बाल्कन देशों को सुरक्षित देश घोषित कर वहां के नागरिकों को जर्मनी में शरणार्थी का दर्जा पाने से भी रोका। अब मोरक्को, ट्यूनिशिया और अल्जीरिया जैसे देशों को भी सुरक्षित घोषित करने के प्रयास हो रहे हैं।

सुरक्षा सुधारों की ओर कदम

जर्मन गृह मंत्री ने हाल के महीनों में जर्मनी में अंजाम दिए गए आतंकी और जिहादी हमलों के मद्देनजर देश की सुरक्षा व्यवस्था में सुधार किए जाने की घोषणा की है। इसमें ऐसे संदिग्ध कट्टरपंथियों के टखनों पर पहले से ही एक तरह की इलेक्ट्रॉनिक पट्टी बांधने का सुझाव शामिल है, जिन पर संदेह है कि वे हिंसा कर सकते हैं। बर्लिन ऐसे कई देशों पर अपने नागरिकों को वापस लेने का दबाव भी डालना चाहता है, जिन्हें जर्मनी ने शरणार्थी का दर्जा देने से इनकार कर दिया है। गृह मंत्री ने कहा कि ऐसे देशों को मिलने वाली विदेशी मदद रोक कर उन्हें अपने नागरिकों को स्वीकार करने के लिए मजबूर किया जा सकता है।

१९ दिसंबर को बर्लिन के क्रिसमस बाजार में हुए जिहादी आक्रमण के बाद से जर्मनी में सुरक्षा स्थिति को लेकर बहस तेज हो गई थी। इस आक्रमण की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली थी। आक्रमण में १२ लोगों की जान चली गई थी और हमलावर की पहचान २४ साल के ट्यूनिशियाई नागरिक अनीस आमरी के रूप में हुई थी। आमरी का शरण का आवेदन रद्द किया जा चुका था और उसे बहुत पहले ही अपने देश लौट जाना चाहिए था। लेकिन ट्यूनिशिया के कई महीने तक उसे वापस ना लेने का कारण वह जर्मनी में ही जगह बदलता रहा और अंत में हमला करने के बाद पुलिस की गोली से इटली में मारा गया।

स्तोत्र : डी डब्ल्यू

 

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *