कान्वेंट विद्यालय में हिन्दुओं की धार्मिक प्रथा तथा परंपराओं को निरंतर पांव के नीचे कुचला जाता है, उन पर प्रतिबंध लगाया जाता है, यह कोई नई बात नहीं है ! कांग्रेस के राज्य में ऐसे विद्यालयों पर कार्रवाई होना असंभव था; परंतु वर्तमान की केंद्र सरकार ने इस विषय में कठोर कानून बना कर इन प्रथाओं एवं परंपराओं की रक्षा करनी चाहिए !
रामेश्वरम (तमिलनाडू) : जिस तीर्थक्षेत्र में श्रीराम ने लंका पर चढाई करने से पूर्व समुद्रसेतू का निर्माणकार्य करने हेतु भगवान शिव की आराधना की, उसी रामेश्वरम के सेंट जोसेफ कॉन्वेंट विद्यालय के २ छात्रों ने शबरीमाला यात्रा के लिए जाने की सिद्धता करते समय माथे पर विभूति लगा कर विद्यालय में प्रवेश किया। इसलिए उन्हें विद्यालय से ही हटा दिया गया है !
इस कृत्य के विरोध में छात्रों के अभिभावक विद्यालय के व्यवस्थापन के पास गए, तो उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा कि उन छात्रों ने अनुशासन का पालन न कर अस्वीकारार्ह कृत्य करने से उनके विरोध में कार्रवाई की गई ! (हिन्दुओं पर होनेवाले ऐसे आघातों के संदर्भ में अभिभावक ने केवल आवाज उठा कर रुकना नहीं चाहिए, अपितु उन्होंने अपने बच्चों को ऐसे कान्वेंट विद्यालय से निकाल लेना चाहिए, तभी ऐसे विद्यालयों के व्यवस्थापनों को सीख मिलेगी ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात