कार्तिक शु. ४, कलियुग वर्ष ५११४
हिंदूंओका दीपस्तंभ शिवसेनाप्रमुख मा. श्री. बाळासाहेब ठाकरेजीको भावपूर्ण श्रद्धांजली !
राजनीति कैसे करनी चाहिए, उन्होंने इसका भी आदर्श रखा । उनकी राजनीति किसी भी पदके मोहवश नहीं थी । शिवसेनाके कारण ही सर्वसामान्य शिवसैनिकको अधिकारपद, मंत्रीपद मिले । व्यंग्यचित्र, कलम तथा भाषण इन सर्व माध्यमोंसे उन्होंने हिंदुत्वको सम्मान दिलवाया । उन्होंने भले ही कितनी भी कठोरतासे आलोचना की हो, तब भी उसमें राष्ट्रहित ही होनेसे उनके राजकीय विरोधक भी उनसे प्रेम करते थे । एक बार प्रवास करते समय एक उत्तर भारतीय हिंदू बंधुने मुझसे कहा था, ‘मा. बाळासाहेब ठाकरे जी मुझे ‘भैया’ भी यदि कहें, तो भी क्रोध नहीं आता है । इसलिए कि हम इस मुंबईमें हिंदू बनकर जीवित हैं तो केवल बाळासाहेबके कारण ही, अन्यथा वर्ष १९९३ के दंगोंमें हम जीवित ही नहीं रहते । आज ऐसा कोई भी राजनेता नहीं है, जिसपर ऐसा विश्वास दिखाया जा सके ।
हिंदू जनजागृति समितिके शिष्टमंडलद्वारा भेट देनेपर उन्होंने समितिके समन्वयक श्री. शिवाजी ‘वट’करजीसे कहा था कि लोगोंमें ‘वट’ निर्माण करें, ऐसा कहकर एक ही शब्दमें कार्यका संदेश दिया था । समितिकी ओरसे उन्हें प्रति वर्ष जन्मदिनका शुभकामनापत्र भेजा जाता था । जनतासे प्रचंड प्रेम प्राप्त करनेवाला यह नेता खो देनेसे हिंदुओंकी जो हानि हुई है, उसे भरना असंभव है; मात्र हिंदूराष्ट्रका स्वप्न साकार करके हम उनके उपकारोंको थोडा-बहुत तो चुकता कर सकते हैं । हिंदू जनजागृति समिति ठाकरे कुटुंबीय तथा सर्व शिवसैनिकके दुःखमें सहभागी है ।