नई देहली : भारत के प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहड़ ने सोमवार को एक सुनवाई के दौरान कहा कि मैं भी हिन्दू हूं, लेकिन मैं किसी से नहीं डरता। प्रधान न्यायाधीश ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब १०वीं बार गोहत्या पर रोक लगाने की गुहार करनेवाले याचिकाकर्ता ने कहा कि, हिन्दू न्यायालय में आने से डरते हैं, वह इन बातों में नहीं पडना नहीं चाहते।
प्रधान न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता बाल राम बाली से कहा कि न्यायालय आने में डरने की बात क्या है। आखिर किसी के पास तथ्य है तो उसे क्यों डरना चाहिए। उन्होंने याचिकाकर्ता से कहा कि, आप दसवीं बार यह याचिका लेकर आए हैं, पहले ही आपकी तमाम याचिका खारिज हो चुकी है।
इस याचिका में भी कुछ नया नहीं है। इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि १९९६ में संविधान पीठ ने इस संबंध में गलत आदेश पारित किया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि, संविधान पीठ के निर्णय में इस बात को गलत रिकॉर्ड किया गया है कि, पूर्व में हिन्दू धर्म के लोग गाय और सूअर का मांस खाते थे !
वेद या धार्मिक ग्रंथों में नहीं लिखी हैं ऐसी बातें
याचिकाकर्ता ने कहा कि, वेद या धार्मिक ग्रंथों में ऐसी कोर्इ बातें नहीं लिखी हैं। इसपर प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहड़ और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने याचिकाकर्ता की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि आपकी याचिकाएं पहले भी कई बार खारिज की जा चुकी है। पीठ ने याचिकाकर्ता बाली को चेतावनी दी कि, यदि वह फिर से इस तरह की याचिका दायर करेंगे तो उन्होंने याचिका के साथ ५० हजार रुपये का ड्राफ्ट की संलग्न करना होगा।
स्त्रोत : अमर उजाला