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हर अधिवक्ता को हिन्दुओं के लिये हितकारी कानून होनेतक लडना आवश्यक है – अधिवक्ता अमृतेश एन.पी.

बंगलुरू में ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना हेतु दो दिवसीय प्रांतीय अधिवेशन का संतों की वंदनीय उपस्थिति में प्रारंभ !

अधिवेशन के उद्धाटन अवसर पर बाईं ओर से श्री. उमेश शर्मा गुरुजी, अधिवक्ता श्री. दोरेस्वामी, सद्गुरु सत्यवान कदम, डॉ. चिदानंद मूर्ति एवं अधिवक्ता श्री. अमृतेश एन.पी.

बंगलुरू : हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘राष्ट्र एवं धर्म’ के लिये किया जानेवाला कार्य प्रशंसनीय है। ‘हिन्दुत्व’ के संदर्भ में आयोजित कार्यक्रमों का समाज में अनेक प्रकार से विरोध होता है। सरकारीकरण किये गये हर देवस्थान से करोडों रुपए का राजस्व मिलता है। उसका व्यय किस प्रकार होता है तथा इस धन का उपयोग किस लिये किया जाता है, इसकी जानकारी हम सूचना अधिकार के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। हिन्दू विधिज्ञ परिषद के माध्यम से हम ‘हिन्दू धर्म’ की अल्प सी सेवा कर रहे हैं। हिन्दू विधिज्ञ परिषद के माध्यम से ही बंगलुररू में बेन्निहीन का कार्यक्रम, साथ ही मंगलुरू में डॉ. जाकिर नाईक का व्याख्यान, बंगलुरू में आयोजित ‘किस ऑफ डे’ जैसे हिन्दू धर्म विरोधी कार्यक्रमों को रोका गया।

हर अधिवक्ता को हिन्दुओं के पक्ष में कानून होनेतक लडना आवश्यक है। अधिवक्ता श्री. अमृतेश एन.पी. ने ऐसा आवाहन किया।

राष्ट्र एवं धर्मरक्षा हेतु तथा ‘हिन्दु राष्ट्र’ की स्थापना हेतु बंगलुरू के श्री आदि चुंचनगिरी समुदाय भवन में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित २१ एवं २२ जनवरी को दो दिवसीय प्रांतीय हिन्दू अधिवेशन का आयोजन किया गया है। इस अधिवेशन को संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे।

२१ जनवरी को विख्यात इतिहासकार डॉ. एम. चिदानंद मूर्ति, सनातन संस्था के संत सद्गुरु सत्यवान कदमजी, श्री. उमेश शर्मा गुरुजी, अधिवक्ता श्री. दोरेराजु एवं अधिवक्ता श्री. अमृतेश एन.पी. के शुभ हाथों किये गये दीपप्रज्वलन से इस अधिवेशन का उद्घाटन किया गया। इस अधिवेशन में दक्षिण कन्नड जनपद के अनेक हिन्दू संघटनों के पदाधिकारियों ने सहभाग लिया। दीपप्रज्वलन के पश्‍चात वेदमंत्रों का पठन किया गया।

हिन्दू जनजागृति समिति के बंगलुरु के समन्वयक श्री. मोहन गौडा ने उपस्थितों के सामने इस हिन्दू अधिवेशन का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए कहा कि, ‘चुनावों के समय राजनेता केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति हेतु संघटित होते हैं, तो हम निःस्वार्थ हिन्दुओं को धर्मरक्षा हेतु संघटित क्यों, नहीं होना चाहिये ?’

सनातन के संत सद्गुरु सत्यवान कदमजी ने उपस्थितों को हिन्दू जनजागृति समिति के प्रेरणास्थान परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवले जी का संदेश पढ कर सुनाया। सनातन की ओर से प्रकाशित ‘याव नामजपवन्नु माडबेकु ?’ (कौनसा नामजप करें ?) इस कन्नड भाषिक ग्रंथ का विमोचन करते समय डॉ. चिदानंद मूर्ति ने इस ग्रंथ के संदर्भ में निहित मनोगत व्यक्त किया।

‘हिन्दू धर्म’ किसी भी एक जाति से संबंधित नहीं है ! – डॉ. एम. चिदानंद मूर्ति

मैं आज भी वेदमंत्रों का जाप करता हूं। भारत का अर्थ है, ‘हिन्दू धर्म’ ! वह किसी भी जाति से संबंधित नहीं है। वह सदैव प्रवाहित पवित्र गंगा नदी की भांति है। हमारे अनेक लोगों को वेद क्या हैं ?, इसका ज्ञान ही नहीं है। वेदों में जातिभेद, लिंगभेद अथवा वर्णभेद नहीं है; परंतु अनेक लोग उनकी अल्पमति के अनुसार वेदोंपर आरोप लगाते रहते हैं ! वेदों में अस्पृश्यता तो है ही नहीं। आज भी हम देखते हैं कि, अनेक मठों के मठाधिशों ने समाज में व्याप्त अस्पृश्यता का खंडन किया है; परंतु स्वयं को बुद्धिजीवी माननेवाले मूर्ख लोग ‘हिन्दू धर्म’ की ओर हीन दृष्टि से देखते हैं तथा समाज में ‘हिन्दू धर्म’ के संदर्भ में दुष्प्रचार कर हिन्दुओं की धर्मभावनाओंपर आघात करते हैं। यदि हमने इतिहास को देखा, तो टिपू सुलतानद्वारा ही ‘हिन्दू धर्म’ पर बडा आघात किया गया है; परंतु ऐसे हिन्दुद्वेषी व्यक्ति की जयंती मनाई जा रही है, ये अत्यंत दुर्भाग्यजनक है !

हमें हर अयोग्य आचरण का त्याग करना चाहिये ! – अधिवक्ता श्री. दोरेराजु

हमने यह देखा है कि, कुछ लोग अपने स्वार्थवश कानून की कक्षा के बाहर अनैतिक एवं हीन कृत्य करते हैं। हमें इसके लिये संघटित होकर प्रयास करने चाहिये। हमें हर अयोग्य आचरण को त्यागना चाहिये !

हर हिन्दू को ‘मैं हिन्दू हूं !’ ऐसा कहने में, लगनेवाला ‘भय’ दूर होना चाहिये ! – श्री. उमेश शर्मा गुरुजी

भारत में जन्म लेकर परमेश्‍वरद्वारा प्राप्त इस जीवन को ‘राष्ट्र एवं धर्म’ कार्य हेतु समर्पित कर देना चाहिये। सामान्य व्यक्ति ‘अपने अधिकार एवं अपने स्वार्थ’ हेतु प्रार्थना करता है तो धर्माभिमानी अपने ‘धर्म’ हेतु ईश्‍वर से प्रार्थना करता है। ‘राष्ट्र एवं धर्म’ हेतु कार्य करना तो हर किसी का कर्तव्य है ! हरएक को सनातन धर्म का प्रचार करना चाहिये तथा हर हिन्दू के मन में ‘मैं हिन्दू हूं !’ ऐसा कहने के लिये जो भय बैठा हुआ है, वह नष्ट होना चाहिये। भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाना, हम सभी का प्रथम ‘लक्ष्य’ होना चाहिये !

सभी हिन्दू संघटन ‘हिन्दुत्व’ हेतु अर्थात हमारे लिये ही कार्य कर रहे हैं ! – श्रीमती शोभा, संपादिका, स्त्री जागृति

लव्ह जिहाद आज इतनी बडी समस्या बन गई है कि, यदि वह ऐसी ही चलती रही, तो हम अनुमानित १० सहस्र युवतियों को गंवा बैठेंगे। मैसुरू से ५ युवतियों के लापता होनेपर उस संदर्भ में पुलिस के पास परिवाद प्रविष्ट कर भी उनकेद्वारा किसी प्रकार का प्रतिसाद प्राप्त नहीं हुआ। अधिकतर महाविद्यालय जानेवाली युवतियां लव्ह जिहाद पर बलि चढ रही हैं। पाश्‍चात्त्यों के अंधानुकरण के कारण आज हम हमारी लडकियों को योग्य धर्मशिक्षा नहीं देते। हम इस संदर्भ में उजागर करनेवाले हिन्दू संघटनों की ओर तुच्छता की दृष्टि से देखकर ‘सत्य’ को छिपा नहीं सकते ! कल यही सत्य ‘हमें’ निगल जा सकता है, इसका हमें भान होना चाहिये। हमें ‘हिन्दुत्व’ को निरंतर प्रोत्साहित करते रहना चाहिये !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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