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बंगलुरू के प्रांतीय हिन्दू अधिवेशनस्थलपर २५ पुलिसकर्मियों के साथ बलपूर्वक अंदर घूसकर चित्रिकरण करने का बंगलुरू पुलिस प्रशासन का कानूनद्रोही प्रयास !

बंगलुरू पुलिस प्रशासन की उद्दंडता !

३१ दिसंबर की रात डेढ सहस्र पुलिसकर्मियों के सामने महिलाओं के साथ हो रही छेडखानी रोकने में असफल रही काँग्रेसी राज्य की पुलिस केवल हिन्दुओं के कार्यक्रमों में ही अपनी मर्दानगी दिखाती हैं !

बंगलुरू : २१ जनवरी को यहां के प्रांतीय हिन्दू अधिवेशन के पहले दिन कार्यक्रमस्थलपर बंगलुरू पुलिसद्वारा २५ पुलिसकर्मियों को लेकर बलपूर्वक घुसकर कार्यक्रम का चित्रिकरण करने का प्रयास किया गया; परंतु आयोजकोंद्वारा उनका वैधानिक पद्धति से विरोध किये जाने से, उन्हें सभागार से बाहर जाना पडा !

१. अधिवेशन का प्रारंभ होने के एक दिन पूर्व अर्थात २० जनवरी को इन पुलिसकर्मियों ने हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. चंद्र मोगेर से कहा कि, आपने हमें अधिवेशन के संदर्भ में जानकारी नहीं दी। आपको हमें यह जानकारी देनी चाहिये ! (क्या, कभी मस्जिदों, मदरसों और चर्च में होनेवाले कार्यक्रमों के संदर्भ में पुलिस को जानकारी दी जाती है ? तथा क्या, पुलिस उनपर इस प्रकार से दबाव बनाकर उन से पूछताछ कर सकती है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) उसके पश्‍चात श्री. चंद्र मोगेर ने तुरंत पुलिस थाने में जाकर अधिवेशन के संदर्भ में आवश्यक जानकारी दी।

२. २१ जनवरी को अधिवेशन के पहले दिन २५ पुलिसकर्मियों ने सभागार में प्रवेश कर सभागार की जांच करना आरंभ कर दिया। (हिन्दुओं के अधिवेशन स्थल पर २५ की संख्या में पुलिसकर्मि आये थे ! इतनी बड़ी संख्या में आने के लिये क्या, वह ‘आतंकी अड्डा’ था ? एक ओर कर्नाटक में जिहादियोंद्वारा हिन्दुत्वनिष्ठों की हत्याएं हो रही है, उसपर ध्यान देने की अपेक्षा वैधानिक पद्धति से चल रहे हिन्दुओं के कार्यक्रम स्थल पर इतनी बडी संख्या में पुलिसकर्मियों को भेजनेवाला पुलिस प्रशासन जनताद्रोही ही है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

३. ये पुलिसकर्मी अधिवेशन का चित्रिकरण करने की पूरी तैयारी से आये थे, यह ध्यान में आनेपर समिति के कार्यकर्ताओं ने उनसे कहा कि, यह एक निजी कार्यक्रम है। इस अधिवेशन में केवल निमंत्रित लोगों को ही आने की अनुमति है; इसलिये आप इस अधिवेशन का चित्रीकरण न करें और कृपया सभागार से बाहर चले जायें !

४. तब पुलिसकर्मियों ने कहा कि, यह कोई आपके घर का कार्यक्रम नहीं है। आप ने पत्रकार परिषद में; इस अधिवेशन में गोरक्षा, लव्ह जिहाद जैसे विषयों पर विचार विमर्श होनेवाला है ऐसे बताया है। हमारी एक व्यक्ति इस कार्यक्रम में उपस्थित रहेगी, आप इस कार्यक्रम में क्या करते है, क्या क्या होता है इसकी जानकारी हमें रखनी चाहिये ! (संविधानद्वारा हरएक को ‘व्यक्ति स्वातंत्र्य’ एवं ‘वक्तव्य स्वातंत्र्य’ प्रदान किया गया है। उसपर ही ‘अंकुश’ लगाने का यह पुलिस प्रशासन का प्रयास है ! यह नियम है कि, ‘किसे कौन सा कार्यक्रम लेना है, इसका हर किसी को अधिकार है और उस संदर्भ में पुलिस को सूचित करने का कोई बंधन नहीं है’ और पुलिस प्रशासन इस नियम का ही उल्लंघन कर रहा है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) इन पुलिसकर्मियों ने ऐसा कहते हुए समिति के श्री. चंद्र मोगेर को डराने का प्रयास किया कि, यह सभागार आदि चुंचनगिरी मठ के स्वामीजी का है और हम केवल उन्हींसे बात करेंगे। प्रसारमाध्यमें हम से यह पूछ रहे हैं कि, आप को अधिवेशन में क्यों नहीं अंदर जाने दिया जाता है ? आप अंदर क्यों नहीं जाते ? यह प्रकरण बडा हो सकता है ! (बंगलुरू में महिलाएं असुरक्षित हुई हैं। उनके साथ बलात्कार एवं छेड़खानी की घटनाएं हो रही हैं। ऐसी स्थिति में निरपराध हिन्दुत्वनिष्ठों को धमकानेवाला बंगलुरू पुलिस प्रशासन ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

५. इसी संदर्भ में श्री. मोगेर एवं पुलिस निरीक्षक के बीच निरंतर ४ घंटों तक बातचीत हुई। उसके पश्‍चात इसी अधिवेशन में वक्ता के रूप में उपस्थित श्री. अमृतेश एन.पी. को इस संदर्भ में सूचित किया गया। तब वे व्यासपीठ से नीचे उतरकर पुलिसकर्मियों के साथ बातचीत करने लग गये।

६. अधिवक्ता श्री. अमृतेश की पुलिस से बातचीत होने के पश्‍चात पुलिस निरीक्षक ने पुलिस उपायुक्त से बात कर श्री. अमृतेश से कहा कि, इस कार्यक्रम में यदि कोई अनुचित घटना हुई, तो उसके लिये आप ही उत्तरदायी होंगे तथा आपको हमें इस कार्यक्रम के संबंध में पूरा विवरण एवं इस कार्यक्रम में सम्मिलित व्यक्तियों का पूरा विवरण देना पडेगा ! (किसी तानाशाह की भांति व्यवहार करनेवाली बंगलुरू पुलिस ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

७. आज के दिन एक पुलिसकर्मी सभागार के बाहर बैठा हुआ है !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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