बांग्लादेश में सरकार ने विद्यालयीन पाठ्यक्रम पर बड़ी मात्रा पर बदलाव किये हैं । इन बदलावों में ऐसे सभी तथ्य किताबों से हटा दिए गए हैं जो हिंदू धर्म से जुड़े थे या हिंदू धर्मके विषय में कहते थे । इसे लेकर पूरे देश में विवाद उत्पन्न हो गया है । बांग्लादेश में वर्ष २०१७ के पाठ्यक्रम में किए गए बदलावों ने हर किसी को हैरान कर दिया है, क्योंकि विद्यालयीन किताबों में से नोबल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर को भी हटा दिया गया है । यह बदलाव कक्षा ८ तक की किताबों में किए गए हैं ।
बांग्लादेशी मीडिया में छपे वृत्त के अनुसार, कक्षा ६ की विद्यालयीन किताबों से रवींद्रनाथ टैगोर की कविता ‘बांग्लादेशर हृदोय’ को हटा दिया गया है । इस कविता में उन्होंने अपने मातृभूमि की खूबसूरती का उल्लेख किया है, जिसे लेकर कट्टरपंथी लोगों ने दावा किया था कि यह कविता हिंदू देवी की प्रशंसा करती है इसलिए इसे किताबों से हटा लेना चाहिए ।
इस कविता में ‘मंदिर’ शब्द भी है । पिछले वर्ष इस पंक्ति में बदलाव किए गए थे जिसकी काफी आलोचना भी हुई थी, किंतु वर्ष २०१७ के पाठ्यक्रम से इस पूरी कविता को ही हटा दिया गया है और इसकी जगह उनकी दूसरी कविता ‘नोतून देश’ को किताब में जगह दी गई है । ढाका के अखबार में छपे समाचार के अनुसार कट्टपरपंथी समूहों की मांग के चलते इस कविता को विद्यालयीनी किताबों से हटाया गया है ।
इन कट्टरपंथी समूहों ने कहा है कि, रवींद्रनाथ टैगोर हिंदू हैं इसलिए बांग्लादेश की विद्यालयीन किताबों से उनकी कविताओं को हटा दिया जाना चाहिए । नए पाठ्यक्रम में कक्षा २ में हजरत मोहम्म्द की शॉर्ट स्टोरी को जगह दी गई है । कक्षा ३ में खलीफा अबू बकर को, कक्षा ४ में खलीफा उमर और कक्षा ६ में बिदाई हज को जगह दी है । वहीं कक्षा ८ की किताबों से रामायण के सार को भी हटा दिया गया है ।
स्त्रोत : न्यूज १८