हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनोंद्वारा आयोजित ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’
- चुनाव के समय केवल राजनीतिक दलों के लिए चुनाव आचारसंहिता लागू होती है, फिर भी उसका उपयोग हिन्दुत्वनिष्ठों के विरोध में कर उनका दमन करनेवाला पुलिस प्रशासन !
- धर्मांध मुसलमान नेता एवं मौलवी हिन्दुओं एवं प्रधानमंत्री को लक्ष्य कर अलग-अलग फतवे निकालते रहते हैं; तो क्या, उस समय कानून एवं व्यवस्था का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता ?
- केवल हिन्दुओं का दमन करने में धन्यता माननेवाले ऐसे पुलिस एवं प्रशासन, लोकतंत्र को निरर्थक ठहराते हुए ‘हिन्दु राष्ट्र’ की स्थापना को अनिवार्य बनाते हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात
रत्नागिरी : यहां के राजापुर में जवाहर चौक पर ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’ का आयोजन किया गया था। इस आंदोलन की अनुमति हेतु पुलिस एवं प्रशासन को आवेदनपत्र दिया गया था; परंतु इस आंदोलन में लिए जानेवाले हिन्दू धर्मपर होनेवाले आघातों के विषयों पर आपत्ति जताकर, साथ ही चुनावी आचारसंहिता का कारण आगे कर कानून एवं व्यवस्था का प्रश्न उत्पन्न हो सकता है, ऐसा पत्र देते हुए स्थानीय प्रशासन ने इस आंदोलन के लिए अंतिम क्षणों में अनुमति नकार दी ! (ऐसा आंदोलन यदि अन्य पंथियोंद्वारा आयोजित किया होता; तो क्या, पुलिस एवं प्रशासनद्वारा ऐसी ही भूमिका अपनायी जाती ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
इसके कारण अनेक हिन्दुओं को आंदोलन स्थल से वापस लौटना पडा। जिनके कारण कानून एवं व्यवस्था का प्रश्न सदैव ही उपस्थित होता है, उनकेद्वारा किये गये अन्याय के कारण वैधानिक पद्धति से आंदोलन का प्रयास करनेवाले हिन्दुओं की आवाज को ही दबानेवाले स्थानीय प्रशासन की हम निंदा करते हैं ! ऐसी संतप्त प्रतिक्रिया आंदोलनकारियों ने इस समय व्यक्त की।
अनुमति देने के लिए टोलमटोल करनेवाले प्रशासनिक अधिकारी !
१. जिले में अबतक २५ से भी अधिक ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’ वैधानिक पद्धति से सफलतापूर्वक संपन्न हुए हैं। उसके आधारपर राजापुर में २२ जनवरी को आयोजित आंदोलन के लिए अनुमति मिले; इसके लिए जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में आवेदनपत्र दिया गया था।
२. सामान्यरूप से आंदोलन के लिए अनुमति स्थानीय पुलिस थाने की ओर से ही मिलती है। राजापुर पुलिस थाने के एक पुलिसकर्मि ने भ्रमणभाष पर हिन्दू जनजागृति समिति के समन्वयक को बताया कि, आज के दिन जिला परिषद एवं पंचायत समिति चुनावों के कारण सर्वत्र चुनावी आचारसंहिता होने के कारण आप प्रांताधिकारी के पास आवेदन करें !
३. उसके अनुसार २० जनवरी को हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ता प्रांताधिकारी (उपमंडल अधिकारी तथा उपमंडल दंडाधिकारी) कार्यालय में अनुमति के लिए आवेदनपत्र लेकर गये। वहांपर प्रांताधिकारी उपस्थित न होने के कारण कार्यकर्ताओं ने वहांपर उपस्थित एक अधिकारी के पास यह आवेदनपत्र दिया। तब उस अधिकारी ने बताया कि, चुनावी प्रक्रिया की कार्रवाई तहसिलदार के अधिकार में होने के कारण तहसिलदार ही इसकी अनुमति देंगे। आप उनकी ओर आवेदन करें !
४. उसके अनुसार समिति के कार्यकर्ता जब इस आवेदनपत्र को लोकर तहसिलदार कार्यालय गये, तब वहांपर स्थित एक अधिकारी ने आवेदनपत्र का स्वीकार कर हम आपको इस संदर्भ में सूचित करेंगे, ऐसा कहा। तत्पश्चात सायंकाल को तहसिलदार कार्यालय से ऐसे बताया गया कि, ‘धारा ३७ (१) नुसार स्थगन आदेश होने के कारण केवल प्रांताधिकारी ही आपको अनुमति दे सकते हैं। २१ जनवरी को समिति के कार्यकर्ताओंद्वारा मांग किये जानेपर उस आशय का लिखित पत्र दिया गया।
केवल ‘धर्मांध आहत होंगे’; इसलिए हिन्दुओंद्वारा वैधानिक पद्धति से किये जा रहे आंदोलन के लिए अनुमति ना देना, खेदजनक !
हिन्दू धर्मपर हो रहे आघातों के विषयों पर ही आपत्ति !
इस आवेदनपत्र में, ‘कश्मीरी हिन्दुओंपर हो रहे अत्याचारों को ‘वंशसंहार’ ही मानकर पनून कश्मीर को स्वतंत्र क्षेत्र प्रदान किया जाए’, ‘मलकापुर (जिला बुलढाणा) में हुए दंगों के लिए उत्तरदायी धर्मांध मुसलमानों को उनके सूत्रधारोंसहित बंदी बनाया जाए और निर्दोष हिन्दुओंपर प्रविष्ट किए गए अपराध वापस लिए जाए’ साथ ही ‘घुसपैठी रोहिंग्या मुसलमानों के बच्चों को तेलंगना के विद्यालयों में प्रवेश न देकर उनको देश के बाहर निकाल दिया जाए’, ये प्रमुख मांगें थीं।
इन तीनों संदर्भोंपर प्रशासनद्वारा आपत्ति जताकर ये मांगे अन्य धर्मियों के विरोध में होने से और चुनावी आचारसंहिता लागू होने से, कानून एवं व्यवस्था का प्रश्न उत्पन्न होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए, साथ ही स्थानीय पुलिस प्रशासन के अभिप्राय को भी ध्यान में लेते हुए आंदोलन को अनुमति नहीं दी जा सकती, ऐसा पत्र उपमंडल अधिकारी तथा उपमंडल दंडाधिकारी, राजापुर की ओर से समिति के कार्यकर्ताओं को दिया गया।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात