नई देहली/नोएडा : उच्चतम न्यायालय द्वारा पूरे देश में गोहत्या पर प्रतिबन्ध लगाने से इनकार करने के बाद हिन्दू महासभा ने इस मुद्दे पर अपनी राय जाहिर करते हुए कहा है कि, इस मुद्दे पर जारी गतिरोध को हमेशा के लिए समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार को एक कानून लाना चाहिए, जिससे इस मुद्दे पर हमेशा के लिए दुविधा समाप्त हो जाए ।
हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने कहा कि, एक आेर तो उच्चतम न्यायालय जलीकट्टू पर इस आधार पर प्रतिबन्ध लगाती है कि, इसमें जानवरों पर हिंसा होती है, वहीं दूसरी ओर गाय की हत्या पर प्रतिबन्ध लगाने से साफ इनकार कर देती है, यह एक ही मुद्दे पर न्यायालय का दोहरा मापदण्ड लग रहा है । उनके अनुसार, जलीकट्टू में तो लोग सांडों के साथ एक खेल खेलते हैं और उसके बाद उसे ससम्मान छोड़ देते हैं, इसमें उसको कोई नुक्सान नहीं पहुंचाया जाता । जबकि गोहत्या के मामले में तो उसके साथ सबसे बड़ी हिंसा की जाती है, जिसके विषय में कोई सन्देह ही नहीं है । ऐसे में यह बात समझ नहीं आती कि, किस आधार पर जलीकट्टू पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाता है और किस आधार पर गोहत्या को जारी रखने का आदेश दे दिया जाता है ।
स्वामी चक्रपाणि ने कहा कि, मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है कि, उच्चतम न्यायालय में मुद्दे को सही ढंग से पेश नहीं किया, जिसके कारण से इस तरह का आदेश आया । अगर सही ढंग से बात रखी जाती तो सम्भवतः न्यायालय का आदेश कुछ और ही होता ।
दोहरा रवैया अपना रही है केंद्र सरकार
स्वामी चक्रपाणि ने कहा कि, मोदी सरकार गोहत्या जैसे संवेदनशील मामले पर दोहरा रवैया अपना रही है । लोकसभा के चुनाव के दौरान भाजपा ने जनता से यह वायदा किया था कि, वह सत्ता में आते ही गोहत्या पर केंद्रीय कानून बनाएगी, जिससे देश में गोहत्या पर प्रतिबन्ध लगाया जा सकेगा, परंतु आज जबकि मोदी जी को सत्ता में आए हुए लगभग तीन साल होने जा रहे हैं, उन्होंने आज तक ऐसा एक भी काम नहीं किया जिससे हिंदुओं में यह सन्देश गया हो कि, यह सरकार गोहत्या पर केंद्रीय कानून बनाने के प्रति संवेदनशील है ।
उन्होने आगे कहा कि, गाय हिंदुओं की अनन्य आस्था का केंद्र है । अगर पूरे देश में गोहत्या पर प्रतिबन्ध लग जाए तो सांप्रदायिक हिंसा फैलाने का एक बड़ा बहाना हमेशा के लिए समाप्त हो जाए । उन्होंने केंद्र सरकार से पूरे देश में गोहत्या पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए तत्काल कानून बनाने की मांग की ।
संदर्भ : पत्रिका