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छत्तीसगढ : ढोलकल पहाडी पर नक्सलियोंद्वारा खंडित गणेश प्रतिमा मूल स्वरूप में लौटी !

नई देहली : छत्तीसगढ के दंतेवाड़ा जिले में पहाड़ी पर विराजित ढोलकल गणेश की खंडित प्रतिमा को रासायनिक पद्धति के जरिए विशेषज्ञ मूल स्वरूप दे रहे हैं।

बुधवार को प्रतिमा पूर्वरूप में आ गई। सोमवार तक प्रतिमा के ९५ प्रतिशत हिस्से के टुकड़े मिल चुके थे। मंगलवार को गणेशजी का कान मिला। इसे ढूंढने डिप्टी कलेक्टर आशीष देवांगन के नेतृत्व में करीब १०० ग्रामीण और सैनिक सुबह ही खाई में उतर गए थे। १० बजे उन्हें कान मिल गया।

अब इस प्रतिमा की पुनस्र्थापना की जाएगी, साथ ही ग्रामीण पूजा अर्चना भी करेंगे। दंतेवाड़ा कलेक्टर सौरभ कुमार के मुताबिक, ढोलकल गणेश प्रतिमा का पुनर्निमाण लगगभ पूरा हो गया है। ग्रामीणों के रीति-रिवाज के साथ पुनर्स्थापना की जाएगी।

इस ऐतिहासिक स्थल के केंद्र और राज्य के पुरातत्व रिकार्ड में न होने से सुरक्षा और संरक्षण की जिम्मेदारी ग्रामीण निभाएंगे। उनकी मांग पर टूरिस्ट गाइड और रास्ते में पेयजल व दीगर सुविधाएं प्रशासन मुहैया कराएगा।

प्रतिमा के नीचे गिरने के बाद ५६ टुकड़े एकत्र कर लिए गए थे बैलाडिला के ढोलकल पर्वत शिखर पर विराजित १०-११वीं सदी की गणेश प्रतिमा पुनर्निर्माण के बाद फिर मूल स्वरूप में नजर आएगी।

स्त्रोत : न्यूज स्टेट


१ फरवरी २०१७

नक्सलियों के मंसूबे नाकाम, ५६ टुकडे होने के बावजूद ८५% सुरक्षित है ढोलकल गणेश प्रतिमा !

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध ढोलकल गणेश प्रतिमा खाई में गिरकर खंडित होने की घटना को पुरातत्व विभाग, जिला प्रशासन और ग्रामीणों ने बेहद गंभीरता से लिया है। प्राकृतिक आभा के बीच खुले पर्वत में स्थित गणेश की यह प्रतिमा समुद्र तल से २९९४ फीट की ऊंचाई पर स्थित है। पहले प्रतिमा के चोरी होने की अफवाह फैल गई थी।

वरिष्ठ पुरातत्वविद् और पुरातत्व सलाहकार पद्मश्री डॉ। अरुण शर्मा शनिवार को दंतेवाड़ा पहुंचे और ढोलकल पहाड़ी से नीचे गिरकर खंडित हुई गणेश प्रतिमा का बारीकी से अवलोकन किया।

मूर्ति के ८५ प्रतिशत भाग सुरक्षित

फरसपाल थाने में रखी गई खंडित मूर्ति को रेत से अरुण शर्मा ने एक बार फिर मूर्त रूप दिया। अरुण शर्मा का कहना है कि मूर्ति के ८५ प्रतिशत भाग सुरक्षित हैं। इन टुकड़ों को उपचारित कर दोबारा मूर्ति तैयार की जा सकती है। इस मूर्ति की सुरक्षा गांव वालों को ही करना पड़ेगी। यह बेहद संवेदनशील क्षेत्र है, वहां पुरातत्व विभाग या प्रशासन सुरक्षा नहीं दे सकता है। यदि ग्रामीण इस मूर्ति को संरक्षण और सुरक्षा नहीं दे सकते हैं तो म्यूजियम में ही रखना सबसे उचित उपाय है।

मूर्ति को देखने के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पहले मूर्ति पर हथौड़े से प्रहार किया गया है। इसके बाद भी जब मूर्ति नहीं टूटी तो इसको लोहे के रॉड से फंसाकर पहाड़ी से नीचे गिराया गया। मूर्ति के 56 टुकड़े हुए थे। किंतु ऐसा कोई महत्वपूर्ण भाग गायब नहीं हुआ है जिससे मूर्ति का मूल रूप प्रभावित हो।

पुरातत्व और पर्यटन विभाग दोनों ही उपेक्षित

उन्होंने दंतेवाड़ा में बिखरी पड़ी मूर्तियों के संरक्षण के सवाल पर सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि पुरातत्व विभाग और पर्यटन एवं संस्कृति विभाग दोनों ही उपेक्षित हैं। इन विभागों की केवल बैठक होती है, जिसमें अधिकारी-कर्मचारी और नेता समोसे-कचोरी खाकर औपचारिकता पूर्ण करते हैं।

स्त्रोत : न्यूज १८


१ फरवरी २०१७

दंतेवाडा : नक्सलियों ने पहाडी से धक्का देकर एक हजार वर्ष प्राचीन गणेश की मूर्ती खण्डित की !

दंतेवाडा – दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय से करीब १२ किमी। दूर फरसपाल गांव के पास पहाडिय़ों पर स्थित ढोलकल की ऐतिहासिक गणेश प्रतिमा को नक्सलियों ने खण्डित कर दिया है। आज सुबह पहाडिय़ों से १ हजार वर्ष प्राचीन गणेश प्रतिमा के गायब होने की खबर सोशल मीडिया में वायरल हो गयी। इसके बाद जब पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची तो प्रतिमा इस पहाड़ी के नीचे खण्डित अवस्था में मिली। पुलिस ने इसे नक्सलियों की करतूत बतायी तो प्रशासन शरारती तत्वों का हाथ बता रहा है।

करीब साल भर पहले फरसपाल के पास स्थित पहाड़ी की शिखर पर ऐतिहासिक गणेश प्रतिमा की खोज दक्षिण बस्तर के युवा पत्रकार बप्पी राय और हेमंत कश्यप ने की थी। इसके बाद प्रशासन इसे पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने तैयारी में था। महीने भर पहले ही इसके लिए ढाई करोड़ का प्रोजेक्ट भी बनाया गया। पिछले महीने भर से यहां पर्यटकों की आवाजाही लगातार बढ़ रही थी। जगदलपुर से पर्यटकों का एक दल २५ व २६ जनवरी को इस पहाड़ी पर स्थित गणेश भगवान के दर्शन के लिए पहुंचा था। फरसपाल पर स्थित इस पहाड़ी के शिखर की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग २९९४ फीट बतायी जा रही है। जब पर्यटक यहां पहुंचे तो उन्हें शिखर पर गणेश प्रतिमा नहीं मिली। ग्रेनाइट पत्थर से करीब ३ फीट ऊंची इस ऐतिहासिक प्रतिमा की गायब होने की जानकारी इस दल ने नीचे फरसपाल पहुंचकर ग्रामीणों को दी और आज सुबह सोशल मीडिया में वायरल भी कर दिया।

दंतेवाड़ा में पुलिस और प्रशासन हरकत में आया और कलेक्टर सौरभ कुमार, एसपी कमलोचन कश्यप, सीईओ डॉ। गौरव सिंह और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ। अभिषेक पल्लव के नेतृत्व में पूरा दल इस पहाड़ी पर पहुंचा। गणेश प्रतिमा वाली शिखर तक पहुंचने इस दल को करीब ८ किमी। ऊपर पद यात्रा भी करनी पड़ी। वहां जाकर देखने पर निर्धारित स्थल पर प्रतिमा नहीं थी। शिखर के चारो तरफ मौजूद पत्थरों के एक हिस्से को हटाकर प्रतिमा को नीचे खायी की ओर धक्का दिया गया था। खायी के आस-पास मूर्ति को तलाशने जवानों का दल भेजा गया। ड्रोन कैमरे की मदद भी ली गयी और घंटों की मशक्कत के बाद ऐतिहासिक गणेश प्रतिमा लगभग १६ टूकड़ों में खण्डित मिली। इसके अवशेष इकट्ठे किये गए और पुरातत्व विभाग से चर्चा कर फिर से इसे स्थापित करने या नहीं करने पर निर्णय लेने की तैयारी हो रही है।

स्त्रोत : देशबन्धु

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