उज्जैन में हिन्दू जनजागृति समिति एवं हिन्दू महासभा की ओर से प्रशासन को ज्ञापन
इस हिन्दुबहुसंख्यक देश में ऐसी मांग करनी पडती है, यह आजतक के सभी शासनकर्ताओं के लिए लज्जास्पद !
उज्जैन : धार (मध्य प्रदेश) के प्राचीन श्री सरस्वती मंदिर अर्थात भोजशाला में केवल वसंतपंचमी के दिन ही (इस वर्ष १ फरवरी को) ही पूजन करने का अधिकार है। वर्ष में केवल एक ही बार पूजन का अधिकार मिलना, हिन्दुओं की धार्मिक अधिकारोंपर आक्रमण है। केंद्र एवं राज्य में सत्ता में विराजमन भाजपा शासन इस प्राचीन सरस्वती मंदिर को स्थायीरूप से पूजन के लिए उपलब्ध कराएं !
हिन्दू जनजागृति समिति एवं हिन्दू महासभा की ओर से ३० जनवरी को यहां की तहसिलदार श्रीमती ममता पटेल को ज्ञापन प्रस्तुत कर यह मांग रखी गई।
इस समय हिन्दू शौर्य जागरण अभियान के श्री. अरविंदजी जैन, श्री. कैलास शर्मा, हिन्दू महासभा के प्रदेश प्रवक्ता श्री. मनीष चौहान, प्रदेश उपाध्यक्ष श्री. नंदकिशोरजी पाटीदार, दबंग हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. लोकेश शर्मा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री. राज वीर, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. आनंद जाखोटिया, श्री. मनोज पटेल, श्री. सागर सिंह बख्तरियासहित २५ से भी अधिक धर्मप्रेमी उपस्थित थे।
इस ज्ञापन में कहा गया है कि, शासन लंडनस्थित श्री सरस्वतीदेवी की मूल मूर्ति को भारत में पुनः लाकर उसकी भोजशाला में विधिवत पुनर्प्रतिष्ठापना करें। अभीतक मंदिर में पूजन के अधिकार की मांग हेतु किए गए आंदोलन में जो संत-महंत एवं हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओंपर अपराध प्रविष्ट किए गए हैं, उन्हें निरस्त करें।
अन्य एक ज्ञापन प्रस्तुत करने के लिए आये हुए महाविद्यायीन छात्रों के एक समूह ने भोजशाला के संदर्भ में सुनकर वह भी ज्ञापन प्रस्तुत करने हेतु आ गया।
क्षणचित्र : इस समय सभी ने स्वयंस्फूर्ति से घोषणाएं दे कर भोजशाला हिन्दुओं की ही होने की अपनी भावनाओं को व्यक्त किया।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात