हिदुओं के लिए खतरे की घंटी !
धर्मांतरण के कारण स्वातंत्र्य पूर्व कालावधी में केवल २०० ईसाई होनेवाली नागभूमि (नागालँड) अब बन गया है देश का सबसे बडा ईसाई राज्य !
वर्ष १९४७ में नागभूमि में केवल २०० ईसाई थे। अब वह देश के सबसे बड़े ईसाई राज्य के रूप में सामने आया है। वर्ष २००१ की जनगणनानुसार वहां के ९०.०२ प्रतिशत अर्थात १७ लक्ष ९० सहस्र ३४९ नागरिक ईसाई हैं। उनमें से ५ प्रतिशत से अधिक ईसाई बाप्टिस्ट चर्च से संबंधित रहने के कारण पुरे विश्व के बाप्टिस्टों का एकमात्र प्रमुख राज्य इस रूप में प्रसिद्ध है। नागभूमि में अब केवल ७.७ प्रतिशत हिन्दू शेष बचें हैं !
नागभूमि के साथ दूसरा बड़ा बना ईसाई राज्य है, मिजोरम !
ईसाई मिशनरियोंद्वारा किए गए आक्रमक धर्मप्रसार के कारण मिजोरम का ९० प्रतिशत से अधिक समाज ईसाई हुआ है ! प्रेसबायटेरियन नामक वहां के ईसाई समाज का प्रमुख पंथ है। अन्य ईसाई चर्चों का भी राज्य में बडा महत्त्वपूर्ण स्थान है !
भारत में ईसाईबहुल हुआ तृतीय राज्य है, मेघालय !
स्वातंत्र्य के पश्चात मेघालय राज्य भी ईसाईयोंद्वारा किए गए धर्मांतरण के कारण ईसाईबहुल हुआ है। २००१ की जनगणनानुसार वहां की लोकसंख्या में ईसाईयों की मात्रा ७०.३ प्रतिशत इतनी है। यहां के हिन्दुओं की लोकसंख्या अब केवल १३.३ प्रतिशत इतनी बची है। मेघालय की सभी शासकीय समाज कल्याण योजनाओं का चलन ईसाई संघटनों के माध्यम से ही आयोजित किया जाता है !
शिलाँग (मेघालय) में ईसाईयों के दबाव के कारण हिन्दुत्व का कार्य प्रकट रूप में करने पर निर्बंध !
मेघालय में ईसाईयों के दबाव के कारण हिन्दुत्व का कार्य प्रकट रूप से करने पर निर्बंध आता है। वहां हुए ईसाईकरण के कारण खुले आम गोहत्या की जाती है। सड़क पर ही खुले में गोमांस का विक्रय किया जाता है। यह बात हिन्दुओं को असहनीय हो रही है; किंतु राजनेता तथा प्रशासन हिन्दुओं की भावनाओं की ओर अनदेखी कर रहे हैं। ऐसे हर बात की ओर शासन अनदेखा कर रहा है। हिन्दुओं को बताया जा रहा है कि, आप स्थानीय निवासी (नॉन-ट्रायबल) नहीं हो !
ईसाई पाठशालाओं के माध्यम से मणिपुर का ईसाईकरण की ओर हो रहा मार्गक्रमण !
मणिपुर राज्य में ईसाईकरण हेतु मिशनरियों ने ईसाई पाठशालाएं आरंभ की हैं। इसका दृश्य फलस्वरूप अर्थात मणिपुर में ३४ प्रतिशत लोग ईसाई हुए हैं। मइताय जमाती के लोगों ने धर्मपरिवर्तन किया है। मणिपुरी भाषा के साहित्य में केवल बाईबल तथा ईसाईयों से संबंधित पुस्तकें हैं !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात